सरायकेला Pramod Singh सरायकेला में शनिवार को पूरी के तर्ज पर पारंपारिक संस्कृति व रीति- रिवाज के अनुसार बाउड़ा रथयात्रा उत्सव मनाया गया और प्रभु श्री जगन्नाथ ने दाउ बलभद्र व बहन शुभद्रा के साथ रथ पर सवार होकर मौसी बाड़ी से श्री मंदिर के लिए प्रस्थान किया. इस मौके पर स्थानीय एवं दूरदराज से हजारों श्रद्धालु प्रभु श्री जगन्नाथ का दर्शन करने एवं रथ खींचने के लिए पहुंचे.

जानकारी हो कि सरायकेला का बाउड़ा रथ काफी विख्यात है और इस मौके पर न केवल सरायकेला व आसपास के ही नहीं बल्कि विभिन्न दूरदराज क्षेत्र से हजारों की संख्या में श्रद्धालु व भक्तों की भीड़ प्रभु श्री जगननाथ के दर्शन के लिए उमड़ती है. शनिवार को कला नगरी सरायकेला में दाउ बलराम व बहन शुभद्रा के संग प्रभु श्री जगन्नाथ का पारंपारिक रीति-रिवाज व वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ मौसी बाड़ी से श्री मंदिर के लिए प्रस्थान कराया गया. प्रभु जगन्नाथ का रथ निकलते ही पूरी कलानगरी जय जगन्नाथ की उदघोष से गूंज उठा.
प्रभु का रथ रविवार को श्री मंदिर पहुंचेगा. यात्रा के दौरान वे बीच रास्ते में कालुराम चौक पर रात्रि विश्राम करेंगे. जहां भजन संध्या का आयोजन किया गया. यात्रा शुरु होने के पहले मौसी बाड़ी मंदिर में प्रभु जगन्नाथ का वैदिक मंत्राच्चारण के साथ पूजा-अर्चाना की गई. इसके बाद प्रभु जगन्नाथ के विग्रहों को रथ के समीप लाया गया जहां राजा प्रताप आदित्य सिंहदेव ने रथयात्रा के छेरा-पोंहारा का रस्म अदा किया. रथ के निकट पूजा-अर्चना की गई, इसके बाद रथ पर पहले दाउ बलभद्र इसके बाद प्रभु जगन्नाथ व अंत में बहन शुभद्रा के विग्रह को बैठाया गया. मंदिर के पंडितों ने भगवान जगन्नाथ की पूजा-अर्चना के बाद रथ को रवाना किया गया. ढोल, नगाड़े, करतरल व घंटे की ध्वनि से कलानगरी गूंजयमान हो गई. इसके बाद भक्तों ने रथ को आगे की ओर खींचते हुए कालुराम चौक तक ले गए. बीच-बीच में श्रद्धालु रथ को रोक कर पूजा-अर्चना भी करते रहे.। इस मौके पर उमड़ती भीड़ पर नियंत्रण के लिए जिला प्रशासन द्वारा कड़ी सुरक्षा की व्यवस्था की गई थी. महिला पुलिस के साथ पुलिस बल तैनात किया गया था.
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