सरायकेला Pramod Singh भगवान जगन्नाथ व बलभद्र ने भक्तों को कलकी अवतार में दर्शन दिए. प्रभु के कलकी अवतार में दर्शन को लेकर भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी. कलकी अवतार के वेश में भगवान जगन्नाथ को काले घोड़े व भगवान बलभद्र को सफेद घोड़े पर विराजिय कर हाथों में तलवार लिये युद्ध मैदान में जाते दर्शाया गया.
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झारखंड में सिर्फ सरायकेला में ही रथ यात्रा के दौरान प्रभु अलग- अलग स्वरूप में भक्तों को दर्शन देते हैं. गुरु सुशांत कुमार महापात्र के निर्देशन में कलाकार सुमित महापात्र, अमित महापात्र, पार्थ सारथी दास, शुभम कर, मुकेश साहू, अनुभव (मानू) सत्पथी एवं विक्की सत्पथी द्वारा भगवान जगन्नाथ-बलभद्र के कलकी अवतार की वेष सज्जा की गई. गुंडिचा मंदिर में प्रभु जगन्नाथ के अलग- अलग वेशभूषा में रूप सज्जा यहां के रथ यात्रा की विशेषता है. कहा जाता है, कि सरायकेला की रथ यात्रा में आयोजित होने वाली वेश-भूषा ही यहां की विशेषता है. यह भी कहा जाता है कि सरायकेला रथ यात्रा में वेश-भूषा परंपरा की शुरुआत 70 के दशक में शुरू हुई थी. गुरु प्रशन्न कुमार महापात्र, डोमन जेना, सुशांत महापात्र जैसे कलाकारों द्वारा प्रभु का वेष सज्जा किया जाता था. वर्तमान में गुरु सुशांत कुमार महापात्र के निर्देशन में स्थानीय कलाकारों द्वारा सरायकेला रथ यात्रा में वेश-भूषा परंपरा का निर्वहन किया जाता है.
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