सरायकेला: मंगलवार को पवित्र देवस्नान पूर्णिमा के मौके पर श्री जगन्नाथ, बडे भाई बलभद्र व बहन सुभदा का शाही स्नान कराया गया. इसके बाद भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण किया गया. प्रभु जगन्न्थ को देखने के लिए भक्त पहुंचे. सरायकेला, हरिभंजा, खरसावां तथा आस-पास के जगन्नाथ मंदिरों में तीनों ही विग्रहों को स्नान मंडप तक पारंपरिक रित-रिवाज के साथ लाकर पूजा अर्चना की गई.
परंपरा के अनुसार देव स्नान पूर्णिमा उत्सव का आयोजन किया गया और प्रभु जगन्नाथ का देव स्नान कराते हुए चंदन, अगुरु, गाय का घी, दुघ, दही, मधु, हल्दी आदी का लेप लगाया गया. इसके पश्चात प्रभु जगन्नाथ को 35 कलश, बड़े भाई बलभद्र को 42 कलश, बहन सुभद्रा को 20 कलश व सुदर्शन को 11 कलश पानी से स्नान कराया गया. इसके बाद खट्टा प्रसाद खिलाया गया जिससे भगवान बीमार होकर स्वास्थ्य लाभ के लिए अन्नसरगृह में चले गए. जानकारी हो कि सरायकेला में विगत ढाई सौ वर्षों से पूरी के तर्ज पर रथयात्रा महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है.
सरायकेला के रथ यात्रा में सारे अनुष्ठान एवं विधि-विधान पूरी के तर्ज पर आयोजित किया जाता है. मंगलवार को जगन्नाथ मंदिर में पारंपारिक रीति-रिवाज के अनुसार देव स्नान पूर्णिमा पर प्रभु जगन्नाथ, दाउ बलभद्र एवं बहन शुभद्रा की पूजा-अर्चना कर देव स्नान कराया गया. मंदिर में आयोजित धार्मिक अनुष्ठान के तहत सुगंध मिश्रित 108 कलशों के पवित्र जल से मंदिर के पूजारी सह जगन्नाथ सेवक पंडित ब्रह्मानंद महापात्र ने प्रभु को देव स्नान कराया. इसके पश्चात प्रभु जगन्नाथ, दाउ बलभद्र एवं बहन शुभद्रा का श्रंगार कर उन्हें मंदिर स्थित सिंहासन पर विराजमान कराते हुए भक्तों ने प्रभु की पूजा अर्चना की.
पूजा-अर्चना के बाद प्रभु को खीर-खिचड़ी व खट्टे आमड़ा से बनी सब्जी का प्रसाद चढ़ाया गया. खट्टा प्रसाद खाते ही प्रभु बीमार हुए और स्वास्थ्य लाभ के लिए पंद्रह दिनों के लिए प्रभु मंदिर स्थित अग्रसर गृह में चले गए. इस दौरान जगन्नाथ पूजन के लिए पंद्रह दिनों तक मंदिर का कपाट बंद रहेगा. अस्वथ्यता के दौरान प्रभु का उपचार की परंपरा निभाई जाएगी. परंपरा के अनुसार माली परिवार के द्वारा विशेष औषधि की दो खुराक का सेवन प्रभु को कराया जाएगा. नेत्र उत्सव के दिन प्रभु का भव्य श्रंगार किया जायेगा. इसके पश्चात 1जुलाई से नौ दिवसीय रथ यात्र उत्सव शुरु हो जायेगा, जिसमे प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा विश्राम करने के लिये अपने मौसी के घर जायेंगे. भगवान के अस्वस्थ होने के अवधी के दौरान ही रथ यात्रा के लिये तीनों विग्रहों का रंगाई-पुताई का कार्य किया जाता है.
रथ यात्रा के कार्यक्रम
29 जुन: नेत्र उत्सव व व प्रभु जगन्नाथ के नव यौवन रुप के दर्शन
01 जुलाई: श्री मंदिर से मौसी बाड़ी के लिए प्रस्थान करेंगे
05 जुलाई: हेरा पंचमी पर मां लक्ष्मी द्वारा रथ भंगिनी
09 जुलाई: श्री जगन्नाथ मौसी बाड़ी मंदिर से श्रीमंदिर तक बाहुड़ा यात्रा