झारखंड में पिछले दो दिनों के बारिश से जहां शहरी जनजीवन अस्त व्यस्त नजर आयी वहीं किसानों के चेहरे खिल उठे हैं. हालांकि दो दिन पहले किसान इंद्र देव से बारिश की कामना कर रहे थे, क्योंकि धान के बिचड़े सूख रहे थे. लेकिन इंद्रदेव ने किसानों को निराश होने नहीं दिया और इतना बारिश दिया कि किसानों के चेहरे खिल उठे और किसान धान रोपनी में जुट पड़े. इधर सरायकेला जिले के किसानों को पारंपरिक गीत के साथ खेतों में धान रोपनी करते देखना सुखद अनुभूति वाला रहा. जहां बारिश थमते ही किसान बिचड़ों को उखाड़ने से लेकर बुवायी में जुट गए. सभी के चेहरों पर खुशी के भाव साफ झलक रहे हैं. सावन का महीना… झमाझम बारिश के बीच सुहाने मौसम में धान रोपनी के साथ पारंपरिक गीत सुनकर यही लगा कि जिंदगी अगर कहीं है तो यहीं हैं. जहां आज भी देश के अन्नदाताओं ने परंपराओं को जीवंत रखा है. जिन्हें चांद और सूरज की नहीं देश के सवा तीन अरब जनता की भूख मिटाने की चिंता है और उसी चिंता को दूर करने के लिए हमारे अन्नदाता इंद्र भगवान का आह्वान करते हैं और इंद्रदेव के प्रसन्न होते ही किसान झूम उठते हैं और गीतों के माध्यम से इंद्रदेव को धन्यवाद देकर शुरूकर देते हैं धान रोपनी. वैसे अभी किसानों को लंबा इंतजार करना होगा फसल खलिहान तक लाने में. और तबतक इंद्रदेव को खुश रखना होगा जबतक धान का फसल तैयार नहीं हो जाता. क्योंकि क्षेत्र के किसानों के लिए सिंचाई का एकमात्र साधन इंद्रदेव की कृपा ही है. सरकार या सरकारी सिस्टम नहीं
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