सरायकेला (Pramod Singh) कहते हैं कि सोने की चमक तपने के बाद ही निखरती है. सरायकेला की श्रद्धा सुमन ने कुछ ऐसा ही मिसाल आज के समाज के लिए पेश किया है. जीवन के कठिन झंझावातों से जूझते हुए श्रद्धा सुमन का बिहार लोक सेवा आयोग के 66वीं सिविल सर्विस परीक्षा में 177 रैंक प्राप्त कर अंतिम रूप से चयन हुआ है.
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श्रद्धा सुमन का चयन बिहार प्रोबेशन सेवा प्रोबेशन पदाधिकारी गृह विभाग कारा के लिए हुआ है. श्रद्धा सुमन ने अपनी सफलता का श्रेय अपनी शिक्षिका मां कंचन कुमारी सिन्हा और अपने छोटे भाई प्रियांश सिन्हा के प्यार तथा अपने प्रयास को दिया है.
2020 में खोई थी अपने पिता को
प्रारंभ से ही लगनशील श्रद्धा सुमन ने अपने मैट्रिक की पढ़ाई इंदिरा गांधी बालिका विद्यालय हजारीबाग से और इंटरमीडिएट की पढ़ाई डीएवी रांची से पूरी की. सिविल सर्विसेज परीक्षा की तैयारी करने के क्रम में उसके साथ एक बड़ा हादसा वर्ष 2020 में घटा। जब एक सड़क दुर्घटना में उसके पिता स्वर्गीय संजय कुमार का निधन हो गया. जिसके बाद श्रद्धा सुमन पूरी तरह से टूटने के बाद भी अपने हौसले को बनाए रखते हुए सफलता हासिल की. श्रद्धा सुमन की मां कंचन कुमारी सिन्हा पैसे से सरकारी शिक्षक हैं.
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