सरायकेला: चंपई सोरेन की चिंता छोड़ हमें एकजुट होकर आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर अपना ध्यान केंद्रित करना होगा तभी कोल्हान सहित पूरे झारखंड में “इंडिया महागठबंधन” की वापसी संभव है. चंपई सोरेन कोई फैक्टर नहीं होगा. यह कहना है वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कालीपद सोरेन का. श्री सोरेन ने एक खास मुलाकत के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री चौपाई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने के बाद अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की.
आपको बता दें कि केपी सोरेन संथाल समुदाय से आते हैं और एक बार सरायकेला विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव भी लड़ चुके हैं. हालांकि इसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा, मगर हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में बतौर कांग्रेस के ग्रामीण प्रभारी के रूप में उनकी भूमिका बेहद अहम रही. यही वजह है कि ग्रामीण क्षेत्र से इंडिया महागठबंधन की प्रत्याशी जोबा मांझी ने एनडीए प्रत्याशी गीता कोड़ा को भारी मतों के अंतर से पराजित किया.
कालीपद सोरेन ने बेहद ही नपे तुले अंदाज में जवाब देते हुए कहा कि चंपाई सोरेन के टक्कर का उम्मीदवार हो तभी सरायकेला में मुकाबला रोचक हो सकता है. इस सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा बेहद ही मजबूत रही है. हां बदले हालात में थोड़ा समीकरण जरूर गड़बड़ा सकता है मगर यदि इस सीट पर ढंग से लड़ा जाए तो चंपई सोरेन को हराना मुश्किल नहीं होगा. इसके लिए “इंडिया” महागठबंधन के सभी घटक दलों को पूरी प्रतिबद्धता के साथ चुनाव लड़ना होगा. कुड़मी नेताओं द्वारा झारखंड मुक्ति मोर्चा को हाईजैक किए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री के दौर में सरायकेला के कुड़मी नेता जो झारखंड मुक्ति मोर्चा से जुड़े हुए थे वह खुद को आसहज महसूस कर रहे थे. चंपाई सोरेन के पार्टी छोड़कर जाने के बाद अब कुड़मी नेता सक्रिय हो गए हैं. झारखंड आंदोलन में उनकी भूमिका भी बेहद महत्वपूर्ण रही है. झारखंड मुक्ति मोर्चा को उन्होंने भी उतना ही दिया है जितना सोरेन परिवार ने दिया है. कांग्रेस की इस सीट पर भूमिका के सवाल पर उन्होंने कहा कि यहां कांग्रेस- झारखंड मुक्ति मोर्चा या राजद का सवाल नहीं है. “इंडिया” का सवाल है. इंडिया को एकजुट होकर तय करना होगा कि किस नेता में चंपई सोरेन को टक्कर देने की क्षमता है. इस सीट पर उसी को मैदान में उतारना चाहिए जो हर दृष्टिकोण से जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतर सके.
अपनी दावेदारी के सवाल पर श्री सोरेन ने कहा कि मैं जमीन से जुड़ा कार्यकर्ता हूं. मौका मिलेगा तो गरीब गुरबों की आवाज बनने से पीछे नहीं हटूंगा. सरायकेला विधानसभा को अस्थिरता से बाहर निकालने के लिए गठबंधन को मजबूत करना होगा. उन्होंने बताया कि उनके पास राजनीति का लंबा अनुभव है. 1990 और 1995 में जनता दल के टिकट पर दो बार खिजरी से और 2009 में सरायकेला विधानसभा से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा हूं. किसी हाल में गठबंधन के विरुद्ध नहीं जाएंगे गठबंधन जिसे भी उम्मीदवार बनाएगी पूरी ऊर्जा के साथ उसके जीत में अपने भागीदारी सुनिश्चित करूंगा.
चंपई सोरेन के सवाल पर उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री को उम्र के इस पड़ाव में ऐसा फैसला नहीं लेना चाहिए था. उन्होंने अपने संघर्षों से जिस पार्टी को सींचा आज वह पार्टी बरगद का पेड़ बन चुका है उसके छांव में कई नेता आगे बढ़ रहे हैं. उन्हें मार्गदर्शक की भूमिका में रहना चाहिए था. जिस अपमान की बात कहकर वे जनता की सहानुभूति बटोर रहे हैं दरअसल वह अपमान नहीं था. उन्हें पूरा सम्मान मिल रहा था. अब जब उन्होंने फैसला ले ही लिया है तो हम उनका सम्मान करते हैं. अब जनता तय करेगी कि उनका नेता कौन होगा.
कांग्रेस के आदिवासी विरोधी होने के सवाल पर श्री सोरेन ने कहा कि ऐसी बातें पूर्व मुख्यमंत्री बीजेपी के इशारे पर बोल रहे हैं. जब वे गठबंधन के नेता थे तब उन्होंने कभी ऐसे आरोप नहीं लगाए. कांग्रेस शुरू से ही आदिवासियों की हितैषी रही है. आज झारखंड सरकार के साथ मिलकर राज्य की जनता के हित में पार्टी ने कई निर्णय लिया है जिसका लाभ उन्हें मिल रहा है. आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी के रुख और किसकी सरकार बनने जा रही है के सवाल पर कांग्रेसी नेता ने कहा कि इंडिया गठबंधन यदि एकजुट होकर लड़ गया तो इसे तो सत्ता में दोबारा वापसी करने से कोई रोक नहीं सकता है. जिस तरह का भ्रम फैलाकर राज्य की जनता को गुमराह किया जा रहा है राज्य की जनता सब समझ रही है. चंपई सोरेन फैक्टर नहीं होगा. समय का इंतजार कीजिए कहीं ऐसा ना हो की चंपाई सोरेन को भाजपा वाले ही हरा दें. जो बीजेपी का इतिहास रहा है उनका इशारा पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, रघुवर दास और बाबूलाल मरांडी की ओर था.