सरायकेला: (Pramod Singh )लंबे अरसे बाद जिले की पुलिस बदली- बदली नजर आ रही है. नए पुलिस अधीक्षक के कमान संभालने के एक महीने बीतने के बाद भी अबतक किसी थानेदारों का तबादला नहीं होना इशारा कर रहा है कि नए साहब का नजरिया क्या है. वैसे साहब का निर्देश नहीं मिलने का ही नतीजा है कि जिले के सारे माफ़ियायों की दुकान लागभग बंद हो चुके हैं. जो चोरी- छिपे अवैध धंधे संचालित करते पकड़े जा रहे हैं उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई किया जा रहा है किसी की पैरवी नहीं सुनी जा रही है. क्योंकि कोई थानेदार रिस्क लेना नहीं चाह रहे है.
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पुलिसिया दबिश और सख्ती से घबराए माफ़ियायों को सफेद परिक्रमा यानी नेताओं एवं उनके करीबियों के इर्दगिर्द परिक्रमा करते देखा जा रहा है. हर कोई एसपी से सांठगांठ करने की जुगत भिड़ा रहे हैं. चूंकि एसपी ने पहले दिन ही अपना स्पष्ट संदेश दे दिया था कि “चाहे माफिया हो या, विभागीय अधिकारी, सुधर जाएं या कार्रवाई के लिए तैयार रहे.” ऐसे में रिस्क लेना कौन चाहेगा. सुधारने में ही भलाई है. यही वजह है कि जिले की पुलिसिंग बदली- बदली नजर आ रही है.
इसका नजारा देखना हो तो सुबह- दोपहर और शाम के वक्त आपको जिले की सड़कों पर जगह- जगह एंटी क्राइम चेकिंग के रूप में दिखेगा. लागभग हर चौक- चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस भीड़ को नियंत्रित करती नजर आएगी, जो हाल के दिनों में देखने को नहीं मिल रहा था. हर थानेदार को नियमित रूप से एंटी क्राइम चेकिंग का लोकेशन विभागीय व्हाट्सएप ग्रुप पर अपलोड करने की बाध्यता है ऐसा पहले नहीं था.
वैसे जिले की कमान संभालने के महज कुछ दिनों बाद ही गम्हरिया ज्वैलरी लूट कांड को चुनौती के रूप में स्वीकारते हुए जिला पुलिस कप्तान एवं उनकी टीम ने यह भी साबित कर दिया कि उनकी टीम के पास वैसे खिलाड़ी भी हैं जो स्लॉग ओवर में मैच जिताने में भी माहिर हैं. दूसरी तरफ थानेदारों की फौज भी अपने- अपने थाना क्षेत्र में पूरी तरह से मुस्तैद है. एक कप्तान के लिए इससे बढ़िया अवसर क्या हो सकता है. जहां उसका हर खिलाड़ी अपनी-अपनी भूमिकाओं में फिट है. ऐसे में कोई बदलाव करने का रिस्क कप्तान क्यों उठाए.
न खाऊंगा न खाने दूंगा के तर्ज पर पुलिसिंग को लेकर जनता काफी खुश नजर आ रही है. हर थानों के मुंशी से लेकर थानेदार तक फरियादियों के साथ ईमानदारी बरतते नजर आ रहे हैं. नाम नहीं छापने की शर्त पर एक पुलिस पदाधिकारी ने बताया कि पुलिसिंग करने का सही मौका मिला है साहब का आदेश है कि किसी भी कंडीशन में फरियादियों के साथ बदसलू की की शिकायत नहीं आनी चाहिए. जीरो टॉलरेंस, जीरो एफआईआर, नो दलाल, नो माफिया ओनली पुलिसिंग का आदेश मिला है इसलिए अब कृपया पैरवी लेकर न आएं.
एक सफेदपोश के करीबी ने बताया कि हमारे साहब की भी नहीं चल रही है क्योंकि एसपी साहब सीधे सीएम हाउस की सुनते हैं. उनके इस बात को बल इसलिए भी मिलता है क्योंकि एसपी साहब को प्रमोश देते ही सीधे सीएमओ से सरायकेला- खरसावां भेजा गया है. अब साहब को अपनी योग्यता तो साबित करनी ही होगी. यही वजह है कि साहब- साहब की भी नहीं सुन रहे. खैर देखना यह दिलचस्प होगा कि भूखे भजन कितने दिनों तक चलेगा. हालांकि यह भी सुनने को मिल रहा है कि जिले के ज्यादातर ऑफिसरों का कार्यकाल गिनती के चार- पांच महीने का रह गया है. ऐसे में कोई चढ़ावा देकर थानेदारी ले उससे अच्छा शुभ- शुभ से जहां हैं वहीं पड़े रहें ट्रांसफर के बाद दिमाग लगाया जाएगा. कुछ ऑफिसर तो अभी से पुलिस मुख्यालय में अपनी जुगत भिड़ाने में जुट गए हैं, ताकि पसंदीदा जिले में पदस्थान कराया जाए.
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