सरायकेला (Pramod Singh) बुधवार को सरायकेला थाना परिसर स्थित बालमित्र कक्ष में मोहन मुर्मू नामक नाबालिग ने बेल्ट के सहारे फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. घटना बुधवार दिन के करीब 11 बजे के आसपास की बतायी ज रही है. मामले की सूचना मिलते ही एसपी आनंद प्रकाश, एसडीपीओ हरविंदर सिंह एवं गम्हरिया थाना प्रभारी राजीव कुमार सिंह बुधवार देर रात सरायकेला थाना पहुंचे और मामले की जांच की.
वहीं सूचना पर पहुंचे एसपी के निर्देश पर बतौर मजिस्ट्रेट सरायकेला सीओ सुरेश प्रसाद सिन्हा को बुलाया गया और बुधवार देर रात 12:00 बजे के आसपास शव का पंचनामा कर सदर अस्पताल के शीतगृह में भिजवाया गया.
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इस संबंध में जानकारी देते हुए एसपी आनंद प्रकाश ने बताया कि सरकार द्वारा जारी “आपकी योजना- आपकी सरकार- आपके द्वार” शिविर में शिरकत करने वे कुचाई के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र गए थे. जहां नेटवर्क की समस्या होने के कारण किसी से संपर्क स्थापित नहीं हो रहा था. सरायकेला लौटने पर थाना प्रभारी ने पुलिस कस्टडी में एक युवक की मौत होने की सूचना दी. जिसके बाद घटनास्थल पर पहुंच पूरे मामले की जांच की, और सरायकेला सीओ की मौजूदगी में पंचनामा कराया गया. मामले की जानकारी युवक के परिजनों को दे दी गई है. उनके आने पर जिस तरह की शिकायत मिलेगी उस आधार पर कार्यवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि गुरुवार को मेडिकल बोर्ड की मौजूदगी में शव का पोस्टमार्टम कराया जाएगा. रिपोर्ट के आधार पर दोषी के विरुद्ध कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी.
बाईट
आनंद प्रकाश (एसपी- सरायकेला)
क्या है मामला
बताया जा रहा है कि बीते 26 अक्टूबर को सरायकेला थाना अंतर्गत गोहिरा की रहने वाली एक नाबालिग के परिजनों ने थाने में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी. 27 अक्टूबर को युवती को उसके कथित प्रेमी मोहन मुर्मू के साथ परिजन दोनों को थाने लेकर पहुंचे. जहां परिजनों ने युवक को पुलिस को सौंप दिया, जबकि युवती को अपने साथ वापस घर ले गए. इस बीच युवक के परिजनों के आने तक उसे थाने में ही रखा गया. जहां 3 दिन बाद बुधवार को युवक ने बालमित्र कक्ष में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. हालांकि युवती के परिजनों ने युवक के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं कराया है. बावजूद इसके युवक को हिरासत में तीन दिनों तक रखा गया वो भी बगैर सुरक्षा मानकों के. इस को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. थाना हाजत में किसी को यदि रखा जाता है तो उसके शरीर में वस्त्र के अलावा कोई भी अन्य सामान रखने की अनुमति नहीं होती है. ऐसे में युवक बेल्ट पहनकर हाजत के अंदर क्या कर रहा था. बगैर वरीय पदाधिकारियों के शव को फंदे से क्यों उतारा गया. उतारा गया तो उसे अस्पताल क्यों नहीं ले जाया गया. ऐसे कई सवाल हैं जिसको लेकर पुलिस की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है, हालांकि इस संबंध में थाना प्रभारी मनोहर कुमार ने बताया कि मामले की जांच का जिम्मा जिस अधिकारी को दिया गया था उसकी लापरवाही से यह घटना हुई है यदि समय पर युवक के परिजनों को सूचित कर उनके हवाले कर दिया गया होता तो यह नौबत नहीं आती यहां गौर करने वाली बात यह है कि जब युवती के परिजनों ने किसी प्रकार की कोई शिकायत ही दर्ज नहीं कराई तो आखिर युवक ने आत्महत्या क्यों की ? कहीं उसके साथ कोई अनहोनी तो नहीं हुई ? बहरहाल सभी की निगाहें पोस्टमार्टम रिपोर्ट और एसपी की कार्रवाई पर टिकी है.