सरायकेला (Rasbihari Mandal) प्रदेश के टेट पास पारा शिक्षकों ने सोमवार को काला बिल्ला लगाकर शिक्षक दिवस मनाया. इस दौरान उन्होंने सर्वपल्ली डॉ राधाकृष्णन की जयंती पर उन्हें पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि भी अर्पित की. विदित हो कि स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता सचिव के पत्र के आलोक में पारा शिक्षकों के प्रमाण पत्र का जांच कार्य पूर्ण होने तक उनके मानदेय भुगतान पर विभाग ने रोक लगा रखी है जिसके चलते विगत दो महीने से पारा शिक्षकों को मानदेय नहीं मिला है.
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इसके अलावा टेट पास पारा शिक्षकों का कहना है कि वे सरकारी शिक्षक बनने की संपूर्ण अहर्ता रखते हैं और महाधिवक्ता ने भी इसकी लिखित सहमति दी है. बावजूद इसके उनके वेतनमान के अधिकार का हनन करते हुए राज्य सरकार ने महज़ कुछ मानदेय बढ़ोतरी के साथ एक घिसी- पिटी नियमावली थमा दी है. इन तमाम कारणों से पारा शिक्षकों में तेज़ उबाल है.
इस संदर्भ में टेट पास पारा शिक्षक संघ के प्रदेश मीडिया प्रभारी कुणाल दास ने मीडिया को बताया कि शिक्षा सचिव का तुगलकी फरमान पारा शिक्षकों को प्रताड़ित करने के उद्देश्य से जारी किया गया है. चूंकि पारा शिक्षक मूल झारखण्ड निवासी हैं, इसलिए एक षड्यंत्र के तहत बाहरी अफसर पारा शिक्षकों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करते रहे हैं और बकायदा राज्य सरकार भी इस पर मौन सहमति दे रही है.
अल्प मानदेय भोगी पारा शिक्षकों की आजीविका का एकमात्र आधार उनकी पगार है. इन परिस्थितियों में अगर दो- दो महीने उन्हें मानदेय से वंचित रखा जाए तो भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी. सर्टिफिकेट जांच में विलंब होना विभाग की लापरवाही है ,इसका खामियाजा पारा शिक्षक क्यों भुगते ? मानदेय के अभाव में विकट स्थिति में इलाज के अभाव में पारा शिक्षकों या उनके परिजनों की मृत्यु हो जाती है तो इसकी पूरी जवाबदेही सरकार की होगी. ऐसे में हमारे बीच शिक्षक दिवस को लेकर कोई भी उत्साह नहीं है.
सिर्फ यही नहीं, एक ओर सरकार पुरानी पेंशन योजना और अल्पसंख्यक स्कूलों में गैरटेट सरकारी शिक्षकों की नियुक्ति कर मेहरबानी बरसा रही है, वहीं दूसरी ओर सूबे की प्रारंभिक शिक्षा में बीस सालों से सेवा देते हुए हर योग्यता को पूर्ण करने वाले टेट पास पारा शिक्षकों को वेतनमान से वंचित रखकर उनके मुंह का निवाला छीना जा रहा है. सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि महाधिवक्ता की सलाह को शिथिल कर क्यों टेट पास पारा शिक्षकों को समायोजन से मरहूम रखा गया है. सरकार के इन तमाम अत्याचारों को देखते हुए हमने शिक्षक दिवस को काला दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया. फिलहाल हम सांकेतिक रूप से प्रदर्शन कर रहे हैं. यदि शीघ्र ही सरकार हमें वेतनमान देते हुए समायोजित नहीं करती है तो निकट भविष्य में टेट पास पारा शिक्षक राजधानी की सरजमीं पर नंग- धड़ंग और उग्र प्रदर्शन करेंगे.
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