सरायकेला: पारा शिक्षकों के स्थायीकरण और वेतनमान के मुद्दे पर राज्य सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए सूबे के पारा शिक्षक एक बार फिर से आंदोलन की तैयारी में जुट गए हैं. मंगलवार को एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा सरायकेला-खरसावां इकाई के जिलाध्यक्ष सोनू सरदार ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से जानकारी देते हुए कहा, कि हेमंत सरकार ने चुनाव पूर्व अपने घोषणा पत्र में यह वायदा किया था, कि सरकार गठन के तीन माह के भीतर पारा शिक्षकों को स्थायी करते हुए उन्हें वेतनमान दिया जाएगा. सिर्फ यही नहीं, सरकार में शामिल तमाम घटक दलों ने हर चुनावी सभाओं में यह बात कही थी और पारा शिक्षकों के मामले को एक हाई प्रोफाइल मुद्दे के तौर पर सामने रख कर चुनाव लड़ा था. किंतु दुर्भाग्यपूर्ण है कि लगभग दो साल बीत जाने के बाद भी यह सिर्फ हवा-हवाई जुमला ही सिद्ध हुआ है. इस वजह से राज्य भर के पारा शिक्षकों में रोष व्याप्त है और जल्द ही यह उग्र आंदोलन में तब्दील हो सकता है. इस बाबत मोर्चा के प्रदेश नेतृत्व के निर्देशानुसार जिले के तमाम प्रखंडों में बैठक कर आम सहमति बना ली गई है. इसके बाद शीघ्र ही जिलास्तरीय बैठक आयोजित कर प्रदेश नेतृत्व को सूचित करते हुए आंदोलन का बिगुल फूंक दिया जाएगा. श्री सरदार ने राज्य सरकार पर बरसते हुए कहा कि हेमंत सरकार कोरोनावायरस महामारी का बहाना बनाकर अपने वायदे से मुकर रही है जबकि इस महामारी के बीच ही बिहार, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में अपने पारा शिक्षकों को वेतनमान देने का कार्य किया है. अब पारा शिक्षक बहलने वाले नहीं हैं चूंकि काफ़ी विलंब हो चुकी है तो हमारा धैर्य भी जवाब दे रहा है. सरकार यथाशीघ्र अपने वादे के मुताबिक पारा शिक्षकों को स्थायी करते हुए वेतनमान लागू करे अन्यथा प्रखंड से राजधानी तक पारा शिक्षकों की हुंकार गूंजेगी.
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