SARAIKELA/ RASBIHARI MANDAL झारखंड सरकार के फैसले का जेटेट पास अभ्यर्थियों ने विरोध किया है. विदित हो कि झारखण्ड के सरकारी प्रारंभिक विद्यालयों में जेएसएससी के माध्यम से 26001 सहायक आचार्यों की नियुक्ति प्रक्रियाधीन है. इसे लेकर कई चरण में परीक्षा ली जा चुकी है और आगे और भी कई चरणों में परीक्षा लिया जाना बाकी है.
सोमवार को मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन द्वारा 15 अगस्त तक प्राइमरी लेवल का एवं 5 सितंबर तक अपर प्राइमरी लेवल का रिजल्ट अलग- अलग जारी करने की घोषणा के बाद पारा शिक्षक- गैर पारा जेटेट सफल अभ्यर्थी संघ झारखण्ड प्रदेश ने इसका विरोध किया है.
मंगलवार को इस संदर्भ में एक प्रेस वार्ता के दौरान संघ के प्रदेश अध्यक्ष कुणाल दास ने कहा कि राज्य में काफ़ी संख्या में ऐसे अभ्यर्थी हैं जो दोनों कैटेगरी में पात्रता रखने की वजह से दोनों ही कैटेगरी के एग्जाम में शामिल हो रहे हैं. ऐसे में अगर प्राइमरी लेवल की नियुक्ति पहले होती है तो दोनों कैटेगरी के अभ्यर्थी प्राइमरी में चुने जाने की स्थिति में पहले प्राइमरी में ज्वाइन करेंगे. बाद में अगर उसी अभ्यर्थी का चयन अपर प्राइमरी में हो जाता है तो वह प्राइमरी लेवल से इस्तीफा देकर अपर प्राइमरी लेवल पर ज्वॉइन कर लेंगे. इस प्रकार से प्राइमरी का सीट अनावश्यक रूप से रिक्त रह जाएगा. यह एक गंभीर समस्या है और इस पर सरकार से लेकर जेएसएससी तक को गंभीरतापूर्वक पुनर्विचार करना चाहिए. श्री दास ने आगे कहा कि अगर मुख्यमंत्री के मुताबिक प्राइमरी का रिजल्ट पहले जारी होता है तो न केवल अनावश्यक रूप से प्राइमरी के सीट रिक्त रह जाएंगे बल्कि काफ़ी संख्या में प्राइमरी के अभ्यर्थी वंचित रह जाएंगे. बहुत जल्द संघ का प्रतिनिधिमंडल इस समस्या से सरकार को भौतिक रूप से अवगत कराने के लिए मुख्यमंत्री से मुलाकात करेगा. झारखण्ड के अधिसंख्य युवा मूल निवासियों की नियुक्ति हो, यही हमारा मूल लक्ष्य है. इसके लिए हम हरसंभव प्रयास करेंगे.