सरायकेला जिले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के पहले चरण में चांडिल अनुमंडल के सभी चार प्रखंडों में शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गया. इधर तीसरे चरण के लिए होने वाले चुनाव को लेकर प्रत्याशी जोर- शोर से जुटे हैं. बता दें कि सरायकेला अनुमंडल में 24 मई को मतदान होना है.
इस बीच सरायकेला प्रखंड से गोविंदपुर पंचायत के मुखिया पद के प्रत्याशी सोमा पूर्ति उर्फ दुबराज पूर्ति द्वारा पंचायत चुनाव में मुखिया के पद के लिए किए गए नामांकन को लेकर उन्हीं के पंचायत से मुखिया पद के लिए चुनाव लड़ रहे बिहारीलाल सरदार ने आपत्ति जताई है. इस संबंध में बिहारीलाल सरदार द्वारा जिले के उपायुक्त सह निर्वाचन पदाधिकारी एवं राज्य निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर अवगत कराया गया है कि सोमा पूर्ति उर्फ दुबराज पूर्ति, पिता सिजुआ पूर्ति उर्फ बादुईया पूर्ति उर्फ सिदियु पूर्ति द्वारा गोविंदपुर पंचायत में मुखिया के पद पर नामांकन दाखिल किया गया है. जिसमें उनके द्वारा शपथ पत्र में सही जानकारी नहीं दी गई है. बताया गया कि दुबराज पूर्ति द्वारा किया गया नामांकन अवैध है, तथा वह चुनाव लड़ने के योग्य नहीं है.
उन्होंने बताया कि सोमा पूर्ति ने अधिवक्ता के माध्यम से यह स्वीकार किया है कि सोमा पूर्ति सीसी केस संख्या 6060/ 2017 में दोषी करार दिए गए हैं. उनके द्वारा यह भी कहा गया है, कि इस आदेश के खिलाफ उनके द्वारा क्रिमिनल अपील संख्या 21/ 2019 माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश सरायकेला के समक्ष दाखिल किया है. इससे यह प्रमाणित होता है कि सीसी केस संख्या 6060/ 2017 का आदेश अभी भी उनके ऊपर बरकरार तथा लागू है. उक्त आदेश में उन्हें 1 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 12 लाख जुर्माना का फैसला सुनाया गया था.
बता दें कि चेक बाउंस के मामले में सोमा पूर्ति को एक वर्ष की सजा सुनाई गई थी. जिसमे उनके द्वारा सजा की मियाद पूरी करने के बाद, त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में हिस्सा लिया जा रहा है. आधार कार्ड पर पिता का नाम कुछ और दर्ज होने के कारण शंका का लाभ देते हुए सोमा पूर्ति का नामांकन सही करार दिया गया है. बिहारीलाल सरदार ने निर्वाचन आयोग के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि 6 माह से ज्यादा सजा पाने वाले अभियुक्त पंचायत चुनाव में लड़ने योग्य नहीं होंगे, ऐसे में सोमा पूर्ति उर्फ दुबराज पूर्ति द्वारा किया गया नामांकन अवैध है. तथा उनका आवेदन रद्द किया जाना चाहिए.
हालांकि इसके लिए जिम्मेदार कौन है इसकी भी जांच होनी चाहिए. आखिर स्क्रूटनी के दौरान सोमा पूर्ति का आवेदन स्वीकृत कैसे किया गया. क्या स्क्रुटनी महज एक खानापूर्ति रही. बिहारीलाल सरदार के अनुसार उन्होंने स्क्रूटनी से दो दिन पूर्व यानी 4 मई को जिला निर्वाचन पदाधिकारी को पत्र के माध्यम से सोमा पूर्ति के नामांकन को निरस्त करने का आवेदन दिया था, जिसे नजरअंदाज कर दिया गया. हालांकि इसी अनुमंडल के गम्हरिया प्रखंड से मुखिया पद की प्रत्याशी प्रभा देवी द्वारा गलत जाति प्रमाण पत्र देने के मामले में उनका आवेदन निरस्त कर दिया गया है. ऐसे में एक ही जिला के एक ही अनुमंडल में दो अलग- अलग कानून क्यों