झारखंड सरकार के नक्सल मुक्त राज्य बनाने के अभियान में सरायकेला- खरसावां जिला अहम भूमिका निभा रहा है. आपको बता दें कि पिछले दिनों कई हार्डकोर नक्सलियों के गिरफ्त में आने के बाद लगातार नक्सलियों का आत्मसमर्पण और गिरफ्तारी जारी है, पिछले दिनों कांड्रा थाना क्षेत्र के गिद्दीबेड़ा टोल प्लाजा से गिरफ्त में आए नक्सली नेता प्रशांत बोस उर्फ बूढ़ा एवं उनकी पत्नी सहित चार नक्सलियों के गिरफ्तार होने के बाद जिले में अब नक्सली संगठन कमजोर हो रहे हैं. इसी क्रम में रविवार को माओवादी संगठन भाकपा के केंद्रीय कमेटी सदस्य अनल उर्फ रमेश मांझी के दस्ता के सदस्य प्रकाश गोप ने सरायकेला- खरसावां पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है.
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आनंद प्रकाश (एसपी- सरायकेला)
बताया जा रहा है, कि प्रकाश गोप ने चांडिल एसडीपीओ के समक्ष आत्मसमर्पण किया है. इसकी जानकारी देते हुए जिले के एसपी आनंद प्रकाश ने बताया, कि सरकार की आत्मसमर्पण नीति “नई दिशा” के अंतर्गत जिले में कई नक्सलियों ने नक्सलवाद का रास्ता छोड़ थोड़ा है, और समाज के मुख्यधारा में लौटे हैं. पिछले साल भाकपा माओवादी के एरिया कमांडर राकेश मुंडा एवं चांदनी सरदार उर्फ बुधनी ने सरायकेला- खरसावां पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया था. पुलिस के बढ़ते दबाव एवं पार्टी के आंतरिक शोषण से क्षुब्ध होकर पिछले माह पुनः भाकपा माओवादी नक्सली संगठन के केंद्रीय कमेटी सदस्य अनल उर्फ रमेश दा उर्फ रमेश माझी की टीम के सक्रिय एरिया कमांडर बैलून सरदार, गाजू उर्फ सूरज सरदार एवं गीता मुंडा ने आत्मसमर्पण किया है. उन्होंने बताया, कि प्रकाश गोप मूल रूप से कुचाई का रहने वाला है. और उसके खिलाफ कुचाई थाना में विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत मामले दर्ज थे. वह 2019 में माओवादी संगठन में शामिल हुआ था. तब से सक्रिय सदस्य के रूप में रहकर काम कर रहा था. अनल उर्फ रमेश दा उर्फ रमेश माझी के साथ मिलकर बड़ी घटनाओं को अंजाम देने में वह शामिल रहा है.
कैसे गया था नक्सलवाद के रास्ते
सरायकेला- खरसावां पुलिस कप्तान आनंद प्रकाश के अनुसार आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली प्रकाश गोप साल 2018 में प्रकाश गोप कमाने के लिए कभी बेंगलुरु तो कभी ओडिशा जाता था. करीब डेढ़ वर्षो तक बाहर काम करने के बाद अपने गांव सोगोई आया इसी क्रम में साल 2019 के नवंबर महीने में भाजपा माओवादी नक्सली संगठन के अनल उर्फ रमेश, महाराज प्रमाणिक का दस्ता इनके गांव के बगल की पहाड़ी में रुके हुए थे. पार्टी समर्थक गांव के गोंडा मुंडा, बोगल जाटा और मंगल मुंडा खाना पहुंचाने के लिए जा रहे थे. वे इनको भी साथ लेते गए और उनसे मिलवाया. प्रकाश भी उनके साथ खाना खाया. खाना- पीना खाने के बाद रात्रि में ही पार्टी दस्ता चल दिया. पार्टी के एक दस्ता सदस्य की तबीयत खराब हो गयी. तब कमांडर महाराज प्रमाणिक ने कहा कि तुमको पार्टी का सामान लेकर साथ चलना है, और जिसका तबीयत खराब है उसके साथ रहना है. तब वह पार्टी के साथ चला गया. रात्रि में पार्टी रायसिंदरी पहाड़ में रुका. वहीं यह भी साथ में रुका. जब सुबह हुआ तो इसने कहा घर जाना है. तब महाराज प्रमाणिक बोला, कि तुम पार्टी में आए हो सबको पता चल गया है. पुलिस देखेगी तो तुम को पकड़ लेगी. अब तुम्हें पार्टी में ही रहकर तन- मन से काम करना है. जिसके बाद डर कर वह पार्टी में ही शामिल हो गया. धीरे- धीरे पार्टी का इस पर भरोसा बढ़ता गया. पार्टी में रहते साल 2020 में लोटाबरु पहाड़ में ऑफ्टन एवं रवि हथियार का ट्रेनिंग दिया. ट्रेनिंग में हथियार का अच्छा सिखाई एवं अच्छा फायर करने के कारण इसको एसएलआर राइफल दिया गया और अनल दा के टीम में शामिल कर दिया गया, और यह आनल दा के बॉडीगार्ड का काम करने लगा. इनके पार्टी में रहते हुए भाकपा माओवादी के संगठन द्वारा कई महत्वपूर्ण घटनाओं को अंजाम दिया गया. पार्टी में रहने के दौरान इनका काफी शोषण किया जा रहा था, एवं घर भी आने- जाने नहीं दिया जा रहा था. इनके घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई थी, और बहन की शादी करनी थी. उन्होंने बताया कि प्रकाश वापसी के लिए पार्टी वालों से सहयोग भी मांगा, परंतु आश्वासन ही दिया जाता था, कोई सहयोग नहीं किया गया.
प्रकाश गोप (सरेंडर करनेवाला नक्सली)
जिससे पार्टी से उनका मोहभंग होने लगा. बताया कि पार्टी कमांडर को कुछ बोलने पर डराने- धमकाने लगते थे, उल्टा यह कहते थे यदि तुम घर तरफ गया तो पुलिस पकड़ लेगी और बुरी तरह से फंसा देगी और बहुत मारपीट किया जाएगा. इसी बीच पार्टी के दस्ता सदस्य सूरज मुंडा उर्फ गाजू, गीता उर्फ रायमुनि एवं बैलून सरदार ने पार्टी से मोहभंग होकर पुलिस के समक्ष सरेंडर कर दिए, तो पार्टी के दस्ता कमांडर और कड़ाई से इन लोगों को रखने लगे. और ज्यादा शोषण करने लगे. प्रकाश ने झारखंड सरकार के आत्मसमर्पण नीति नई दिशा के बारे में ग्रामीणों से अच्छी तरह से जानकारी ली. जब इसको फायदा समझ में आया तब इसने ठान लिया कि पार्टी छोड़कर अब सरेंडर कर ही देना है, और इसने अपने घर परिवार के साथ अच्छा जीवन बिताने की ठानी. तब प्रकाश ने पुलिस से संपर्क स्थापित किया. इसी बीच सरायकेला पुलिस से संपर्क हुआ और पुलिस के पास सरेंडर करने की बात रखी. इसी क्रम में मौका देख कर प्रकाश पार्टी में ही हथियार छोड़कर भाग निकला. विचार विमर्श करने के बाद झारखंड सरकार की आत्म समर्पण एवं पुनर्वास नीति नई दिशा से प्रभावित होकर आज उसने पुलिस के समक्ष पूर्णरूपेण आत्मसमर्पण कर दिया.