सरायकेला: भाजपा सरायकेला विधानसभा संचालन समिति के संयोजक सह नगर पंचायत उपाध्यक्ष मनोज कुमार चौधरी ने झारखंड सरकार द्वारा 1932 आधारित स्थानीय नीति लागू करने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि 1932 स्थानीय नीति हकीकत में लागू होने में प्रश्न चिन्ह है.
यह माननीय मुख्यमंत्री एवं जेएमएम सरकार की केवल वाहवाही लूटने का फैसला है. इसका संवैधानिक रूप से लागू होना कठिन इसलिए है, क्योंकि झारखंड के हर इलाके में अलग-अलग कालखंड में सर्वे हुआ है. 1932 का एकरूप मानक नहीं हो सकता यह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी पता है कि यह फैसला कारगार नहीं होगा.
भाजपा नेता ने कहा कि यह सत्य है कि 1932 का खतियान लागू होने से यहां के स्थानीय नीति में जो संशोधन होगा, स्थानीयता की जो परिभाषा परिभाषित होगी वह यहां के खतियानधारी लोगों के लिए लाभदायक होगा. किंतु उनका क्या जो 1932 के बाद झारखंड में अपना गुजर बसर करने आए और यहां के होकर रह गए ?
पश्चिम सिंहभूम व सरायकेला- खरसावां जिले में सर्वे 1958 से 1995 तक हुआ. इसी प्रकार की असमानता झारखंड के हर इलाके में है. झारखंड के 3 बड़े शहरों की बात करें तो जमशेदपुर जिसे जमशेदजी टाटा ने बसाया था वह पूरा का पूरा बाहरी हो जाएगा. झारखंड से 75% आबादी बाहरी हो जाएगी. साथ ही जिन्हें कई तरह की सरकारी सुविधाएं मिल रही हैं, जो गरीबी रेखा से नीचे अपना जीवन यापन यहां पर कर रहे हैं उनका क्या होगा? सरकार को इस विषय में अपना पक्ष अवश्य रखना चाहिए.