सरायकेला: मुख्यमंत्री राज्य में घूम घूमकर सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं की सौगात जनता को बांट रहे हैं. मगर उनके गृह जिला मुख्यालय के लोगों का अंतिम यात्रा भी ढंग से मयस्सर नहीं हो रहा है जो न केवल सिस्टम की कलई खोल रहा है बल्कि सरकार और मुख्यमंत्री का विजन भी बयां कर रहा है. उक्त बातें सरायकेला नगर पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष सह भाजपा नेता मनोज कुमार चौधरी ने कही है.
दरअसल सरायकेला नगर पालिका क्षेत्र का एकमात्र श्मशान घाट अखड़ाशाल श्मशान घाट है. जो इन दिनों खस्ताहाल स्थिति में है. इसके रखरखाव का जिम्मा नगर पालिका के हाथों है. यहां के नारकीय स्थिति पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए श्री चौधरी ने कहा कि यह सरायकेला नगर पंचायत वासियों का दुर्भाग्य है कि जिला मुख्यालय होने के बावजूद नगरवासियों को मरने के बाद न तो साफ- सुथरा श्मशान घाट उपलब्ध है न ही वहां तक पहुंचने के लिए सुगम मार्ग है.
नगर पंचायत और एजेंसी एमएसडब्ल्यू द्वारा सालाना करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद सफाई का ये आलम अपने आपमें नगर पंचायत के व्यवस्था की पोल खोल रहा है. उन्होंने कहा कि पिछले कई दशकों से अंतिम संस्कार के लिए एक अदद शवदाह गृह के बिना मृतक के परिजनों को खुले आसमान के नीचे पत्थर इकट्ठा कर बड़ी मुश्किल से चिता बनाना पड़ता था. परंतु सरायकेला की संस्था श्री कालूराम सेवा ट्रस्ट द्वारा सरायकेला स्थित दोनों श्मशान घाटों में शवदाह गृह का निर्माण करवाया गया. दोनों शमशान घाटो का पहुंच पथ बड़ा ही दुर्गम था. बरसात के दिनों में अर्थी को किधर से शमशान घाट ले जाएं बहुत बड़ी चुनौती होती थी. रास्ता इतना खराब था कि पूर्व में श्मशान घाट जाने वाले सभी इससे वाकिफ है अभी वर्तमान जिसमें से एक पहुंच पथ (बडपुल) को अथक प्रयास से ग्रामीण विकास विभाग तक एड़ी चोटी कर बनवाने में हमें कामयाबी मिली जो कि मेरे चुनावी मेनिफेस्टो का वादा था मैंने पूरा करवाया.
वही दूसरे पहुंचपथ अखड़ाशाल श्मशान घाट का हमारे कार्यकाल में हमारे नगर पंचायत के जनप्रतिनिधियों की टीम द्वारा प्राक्कलन बनवाकर निविदा निकलवाई गई थी, परंतु वर्तमान सरकार के रहनुमाओं की कारगुजारियों से रद्द करवाया गया जिसके कारण आज तक अखड़ाशाल श्मशान घाट के पहुंच पथ निर्माण का कार्य लंबित है जो दुर्भाग्यपूर्ण है.
वही दूसरी ओर नदी किनारे गंदगी का अंबार लगाना एनजीटी के नियमों का दुरुपयोग है. इसपर नगर पंचायत के प्रशासक मौन हैं जो चिंताजनक है. उन्होंने मुख्यमंत्री और विभाग से जन सुविधाओं के को ध्यान में रखते हुए श्मशान घाट में नागरिक सुविधाओं को बहाल करने और नदी के किनारे फेंके गए अवशेषों को निस्तारित करने के लिए उचित संसाधन की व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग की है.