सरायकेला/ Pramod Singh जिले में गाड़ियों की जितनी संख्या है, उसका आधा संसाधन भी परिवहन विभाग के पास नहीं है. जिला परिवहन कार्यालय में गाड़ियों का निबंधन तो होता ही है, जांच का जिम्मा भी इनके ही कंधों पर होता है. बावजूद यहां अधिकांश पद रिक्त है. इसका असर निबंधन से लेकर जांच अभियान तक हो रहा है. हकीकत यह है कि बिना मोटरयान निरिक्षक का जिला परिवहन विभाग चल रहा है.
जिला पिछले एक महीने से बिना मोटरयान निरीक्षक के काम कर रहा है. इस कारण विभाग की कार्यप्रणाली सुस्त हो गई है. ऐसे में परिवहन विभाग में करीब 7 सौ लाइसेंस और करीब दो सौ फिटनेस के काम पेंडिंग पड़े हुए हैं. परिवहन विभाग टारगेट कैसे पूरा करेगा. क्योंकि मोटर वाहन निरीक्षक के नहीं होने से विभाग पिछड़ गया है.
हाल यह है कि यातायात नियमों का पालन कराने व उल्लंघन करने पर कार्रवाई करने में परिवहन विभाग बेबस व मूकदर्शक की भूमिका में नजर आती है. संसाधनों के साथ इच्छा शक्ति की कमी, काम में लापरवाही व भ्रष्टाचार बड़ा अड़ंगा बना हुआ है.
जिले में मोटरयान निरीक्षक एवं प्रवर्तन अवर निरीक्षक का एक- एक पद स्वीकृत है, लेकिन किसी भी पद पर पदाधिकारी पदस्थापित नहीं हैं. प्रभार में किसी तरह विभाग का काम चल रहा है. वाहन फिट है या नहीं इसकी जांच के लिए कई सारे उपकरणों की जरूरत होती है. मगर परिवहन विभाग के पदाधिकारी इससे अनजान हैं. गैस एनालाइजर, स्मोक मीटर, ब्रेक टेस्टर, लाइट टेस्टिंग मशीन, स्टेयरिंग मीटर आदि उपकरण भी उपलब्ध नहीं है. इन उपकरणों के अभाव में कागजी फिटनेस प्रमाण पत्र निर्गत किया जाता है.
ओवरलोडिंग की जांच को कांटा नहीं
सड़कों पर दौड़ रही ओवरलोडेड गाड़ियों को पकड़ने के बाद उनका वजन कराना होता है, लेकिन इसके लिए कांटे की व्यवस्था नहीं है. निजी धर्मकांटा पर या फिर बगैर वजन कराए ही पदाधिकारी अनुमान लगाकर ओवरलोडिंग का जुर्माना तय करते हैं.