सरायकेला: बीते 2 नवंबर को सरायकेला थाना के बालमित्र कक्ष में संदिग्ध रूप से मृत पाए गए पूर्वी सिंहभूम जिला के घाटशिला प्रखंड के मुड़ाकाटी गांव निवासी नाबालिक मोहन मुर्मू के शव का छठे दिन भी अंतिम संस्कार नहीं हो सका.
सोमवार को दिन भर चले नाटकीय घटनाक्रम के बाद जिला विधिक सेवा प्राधिकार ने नाबालिक के परिजनों के लिए तीन लाख रुपए मुआवजा की स्वीकृति प्रदान कर दी है. इससे पूर्व रविवार को उपायुक्त एवं एसपी के नजी फंड से परिजनों को दो लाख नगद मुआवजा के रूप में सौंपा जा चुका है. ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि सोमवार को परिजन मृतक का शव स्वीकार करते हुए उसका अंतिम संस्कार कर देंगे, मगर ऐसा नहीं हुआ. परिजनों के साथ पहुंचे स्थानीय जनप्रतिनिधि बगैर वार्ता किए परिजन को यह कह कर वापस ले गए कि उन्हें मुख्यमंत्री से मिलवाना है.
फोटो सरायकेला कोर्ट से बाहर निकलते परिजन
इधर उपायुक्त एवं एसपी ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को मृतक के परिजनों को मानवीय संवेदना के आधार पर उचित मुआवजा मुहैया कराने का आवेदन समर्पित किया. जिसे डालसा के अध्यक्ष सह प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश विजय कुमार ने स्वीकृत करते हुए मृतक के आश्रित को तीन लाख की स्वीकृति प्रदान कर दी, हालांकि इसे लेने के लिए परिजन मौके पर मौजूद नहीं रहे.
फोटो उपायुक्त के आवेदन पर स्वीकृति प्रदान करते डालसा अध्यक्ष सह प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश
मामले का राजनीतिकरण क्यों ?
घटना के छः दिनों बाद भी नाबालिग के शव का अंतिम संस्कार नहीं होना कहीं न कहीं मानवीय संवेदना से परे है. घटना के संज्ञान में आते ही एसपी ने तत्काल आरोपी थानेदार को निलंबित करते हुए मजिस्ट्रेट जांच की अनुशंसा कर दी है. जांच शुरू भी हो चुकी है. मृतक के पिता के आवेदन के आलोक में थानेदार एवं एएसआई सहित घटनाक्रम से जुड़े लोगों के विरुद्ध हत्या का मुकदमा भी दर्ज हो चुका है. घटना के बाद से आरोपी थानेदार फरार हो गए हैं. एसपी ने उनकी गिरफ्तारी को लेकर एसआईटी गठित करने की बात कही है. अपने स्तर से जिला प्रशासन मृतक के परिजनों को हरसंभव सहयोग करने का प्रयास कर रही है, बावजूद इसके परिजन अपनी मांग पर पड़े हैं. उधर एसपी को डालसा की ओर से परिजनों या सगे संबंधियों का बैंक खाते का विवरण उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है, ताकि परिजनों को मुआवजा राशि मिल सके. एसपी ने बताया कि परिजन काफी सीधे- सादे हैं. उन्हें बरगलाया जा रहा है. उन्हें मुआवजा के नाम पर बरगलाने वालों की भूमिका की जांच करायी जाएगी दोषी पाए जाने पर उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि मैंने स्वयं इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए कार्रवई की है, परिजनों को इंसाफ हर हाल में दिलाया जाएगा, मगर आवश्यक दबाव बनाने से कोई लाभ नहीं होगा. उन्होंने पुनः मृतक के शव का सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार करने की अपील की.
क्या है परिजनों की मांग
परिजन मुआवजा के रूप में 50 लाख रुपए, आरोपी थानेदार की गिरफ्तारी एवं एक आश्रित को नौकरी देने की मांग पर अड़े हैं, जबकि मृतक अपनी मां- बाप का इकलौता सहारा था. ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर नौकरी किसे दी जाएगी ! पचास लाख रुपए मुआवजा किस प्रवधान के तहत दिया जाए, जबकि डालसा की ओर से तीन लाख की स्वीकृति दी गई है. आलम यह है कि मृतक के परिजनों का बैंक अकाउंट तक नहीं है. ऐसे में परिजनों को पैसे कैसे दिए जाएं, दो लाख रुपए नगद दिया गया है वह भी घर पर सुरक्षित रहेगा इसकी कोई गारंटी नहीं है. ऐसे में स्थानीय जनप्रतिनिधियों को बीच का रास्ता निकालने की पहल करनी चाहिए, ताकि मृतक के शव का अंतिम संस्कार भी हो जाए और परिजनों के जीवन यापन के लिए आर्थिक सहयोग भी मिल जाए. सरकारी स्तर पर और भी कई सुविधाएं हैं, जिसे दिलाने की पहल होनी चाहिए.
रविवार को परिजनों को दो लाख नगद सौंपते एसडीपीओ हरविंदर सिंह एवं जिला परिषद देवयानी मुर्मू
जिला बार एसोसिएशन ने भी डालसा से की थी उचित मुआवजा की मांग
इस घटना को लेकर जिला बार एसोसिएशन ने भी सहानुभूति दिखाते हुए डालसा को पत्र लिखकर मृतक के आश्रितों के प्रति सहानुभूति जताते हुए उन्हें उचित मुआवजा देने की मांग की थी. इन सबको ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन एवं न्यायपालिका की पहल चल ही रही थी, कि इसी बीच परिजन बगैर सहायता लिए बैरंग वापस लौट गए.