सरायकेला: गुरुवार को स्वास्थ्य सह खाद्य आपूर्ति मंत्री बन्ना गुप्ता द्वारा सरायकेला खाद्य गोदाम में किए गए औचक निरीक्षण को सरायकेला नगर पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष और भाजपा नेता मनोज कुमार चौधरी ने एक छलावा करार दिया है. उन्होंने कहा स्वास्थ्य मंत्री होने के हैसियत से मंत्री बन्ना गुप्ता को एक बार सदर अस्पताल जाकर वहां का हाल भी लेना चाहिए था. निर्माणाधीन अनुमंडल अस्पताल के गुणवत्ता की भी जांच करनी चाहिए थी. मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया.
श्री चौधरी ने मंत्री के निरीक्षण पर सवाल उठाते हुए कहा कि तीन महीने के लिए बन्ना गुप्ता को नया मंत्रालय मिला है. गोदाम- गोदाम औचक निरीक्षण का भोकाल बनाकर चुनावी फंड जुगाड़ने में लगे हैं क्योंकि साढ़े चार साल तक स्वस्थ विभाग के मंत्री रहते विभाग की जो दुर्दशा की है अब वहां कुछ बचा नहीं है. पूरा विभाग खोखला हो चुका है. यूं कहें तो राज्य का स्वास्थ्य सिस्टम सड़ चुका है. श्री चौधरी ने मंत्री बना गुप्ता से सवाल करते हुए पूछा कि साढ़े चार साल मंत्री रहते एक बार भी सदर अस्पताल क्यों नहीं पहुंचे ? उन्होंने कहा कि राज्य के स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी दुःखी हैं और अब वे खुले मंच से राज्य के स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर बोलने से भी नहीं घबरा रहे, मगर अब इससे कोई फायदा नहीं. राज्य की जनता ने हेमंत सोरेन सरकार के सभी मंत्रियों एवं विधायकों की कार्यशैली को देख चुकी है. राज्य सरकार की उल्टी गिनती अब शुरू हो गई है. इनके आतंक से सरकार का हर अधिकारी और कर्मी आतंकित है. तीन महीने में खाद्य आपूर्ति विभाग में ऐसा कौन सा करिश्मा मंत्री जी कर देंगे जो विभाग में भ्रष्टाचार रुक जाएगा और पीडीएस सिस्टम दुरुस्त हो जाएगा. उन्होंने मंत्री बन्ना गुप्ता से लगे हाथ एकबार सदर अस्पताल का औचक निरीक्षण करने की मांग की है. उन्होंने बताया कि सदर अस्पताल की दुर्दशा पर तो अब स्थानीय विधायक सह पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी भी सवाल उठने लगे हैं, जो दर्शाता है कि राज्य का स्वास्थ्य सिस्टम पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है.
वही सरायकेला में निर्माणाधीन अनुमंडल अस्पताल के गुणवत्ता पर भी मनोज चौधरी ने सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि ब्लॉक में अधिकारियों के रहने का आवास बन रहा है, जिसमें लाल ईंटो का प्रयोग किया जा रहा है, जबकि अनुमंडल अस्पताल लगभग तैयार हो चुका है जिसमें फ्लाई ऐश से बने काले ईंट का प्रयोग किया गया है. उन्होंने कहा कि जिस अस्पताल में गरीब रोगियों का इलाज होगा उस अस्पताल में काले ईंट का प्रयोग किया गया है जो कुछ ही दिनों में दरकने लगेगा जबकि अधिकारियों के रहने के बंगले और घरों में लाल ईंट का प्रयोग किया जा रहा है ऐसा क्यों ? स्वास्थ्य मंत्री को इसकी भी जांच करनी चाहिए थी.