झारखंड के सरायकेला-खरसवां जिला के ईचागढ़ प्रखंड क्षेत्र में मनरेगा योजनाओं का हाल बेहाल है. जहां से काम के भौतिक सत्यापन से पहले ही योजना कागजों में पूर्ण बताकर पैसों की निकासी का मामला प्रकाश में आ रहा है. गौरतलब है कि मजदूरों को सौ दिन की मजदूरी देने के लिए सरकार मनरेगा योजना चलाती है, वहीं सरायकेला जिले के ईचागढ़ प्रखंड में मनरेगा योजना में मिलीभगत से योजनाओं को पूर्ण दिखाकर पैसों की निकासी का मामला चिमटिया पंचायत के चिमटिया गांव से प्रकाश में आया है. जहां. गांव के गुरूजन महतो का एक तालाब निर्माण मनरेगा योजना के तहत लिया गया था. तालाब निर्माण कार्य का मापी पुस्तिका मे भौगोलिक अध्यतन कर पूर्ण दिखाया गया है. वहीं लाभुक के पुत्र निमाई महतो ने बताया कि मेरे पिताजी गुरूजन महतो के नाम से योजना संख्या 0409006008/ आई एफ / 7080901355817 के बर्ष 19-20 मे तालाब का निर्माण कराया गया है. जिसे प्राक्कलित राशि 4 लाख 59 हजार से बनाया जाना था. वही सिर्फ 3 से 4 फीट ही तालाब को खोदा गया है और योजना का अंतिम मापी कर पूर्ण दिखाकर रूपये का शेष राशि का निकासी कर लिया गया है. लाभुक द्वारा बीडीओ , एसडीएम और डीसी को लिखित रूप से ज्ञापन सौंपकर कार्य का जांच कर आवश्यक कारवाई करने की मांग की गई है. उधर मांग पर कारवाई करने मे विलंब होने से लाभुक द्वारा नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा गया कि मात्र 3- 4 फीट गड्ढा खोदकर तालाब को कागज मे पूर्ण दिखा कर पैसों की निकासी कर बंदरबांट कर लिया गया है. उन्होंने कहा कि जमीन भी बर्वाद हुआ और तालाब भी नही बना. आधा काम भी नही कर योजना का राशि कमीशनखोरी का भेंट चढ़ गया. निमाई महतो ने बताया कि मनरेगा योजना का पोल खोलने के लिए जांच आवश्यक है. अब आगे देखना है कि जांच मे किस- किस के मिलीभगत का खुलासा होता है. उजागर होता भी है, या सिर्फ लीपापोती कर रफा- दफा कर दिया जाएगा . वहीं इस संबंध मे बीडीओ सत्येन्द्र महतो से बात करने पर उनके द्वारा बताया गया कि मामला संज्ञान में आया है. जाच शुरू कर दी गई है, जो भी दोषी पाए जाएंगे उनपर कारवाई किया जाएगा.
Report By Navin Pradhan
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