सरायकेला/ Pramod Singh 22 जुलाई से लगातार 37वें दिन मनरेगा कर्मी हड़ताल को लेकर धरना स्थल पर डटे हैं. हड़ताल से मनरेगा के कार्यों पर व्यापक असर पड़ा है. मनरेगा संघ के जिला अध्यक्ष शंकर सतपति ने कहा इससे पहले मनरेगाकर्मियों ने तीन दिन सांकेतिक रूप से सत्याग्रह किया था. उन्होंने कहा वह करीब 20 वर्ष से कार्य कर रहे हैं. उनकी सेवा स्थाई की जाए. बावजूद सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है.
उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार ने उनकी स्थाईकरण की मांग को अपने घोषणा पत्र में शामिल किया था लेकिन सरकार बनने के चार साल से अधिक समय भी जाने के बाद भी इसे पूरा नहीं किया गया है. शंकर सतपति ने कहा कि वादा निभावों स्थाई करो सत्याग्रह के तहत हम लोग एक माह से अधिक दिन से आंदोलन कर रहे हैं लेकिन सरकार की ओर से मनरेगाकर्मियों की समस्या समाधान के लिए कोई नहीं आया है. राज्य के सभी विधायकों ने मेज थप-थपाकर अपना वेतन बढ़ा लिया लेकिन मनरेगाकर्मियों के लिए संवेदनशील नहीं हैं. इसका खामियाजा सरकार को आने वाले समय में भुगतना पड़ेगा.
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शंकर सतपथी (अध्यक्ष- मनरेगा संघ)
हड़ताल से प्रभावित होंगी कई योजनाएं
हड़ताल के कारण बिरसा हरित ग्राम योजना, अबुआ आवास योजना, कूप योजना, वीर पोटो हो खेल मैदान योजना समेत कई योजानएं प्रभावित हो होगी. हड़ताल से जिले में डिमांड शून्य है. अभी कहीं भी पौधारोपण नहीं हुआ है. ऐसे में पौधारोपण पर सीधा असर पड़ेगा. वहीं कुओं को फाइनल करने का काम हो रहा था, वह भी प्रभावित होगा. अबुआ आवास योजना में मनरेगा मजदूरों से काम कराया जाता है. कर्मियों की हड़ताल से यह काम भी नहीं हो पा रहा है .