सरायकेला (Rasbihari Mandal) टेट सफल सहायक अध्यापक संघ झारखण्ड प्रदेश ने शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के पारा शिक्षकों के वेतनमान के संदर्भ में दिए गए बयान को हताशा और दहशत का परिचायक करार दिया है. विदित हो कि हाल में ही एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सूबे के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने अपने बयान में कहा था कि पारा शिक्षकों को सीधे वेतनमान नहीं दिया जा सकता है.
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मंत्री ने आरक्षण रोस्टर का हवाला देकर पारा शिक्षकों के सीधे वेतनमान में तकनीकी अड़चन आने की बात कही थी. उनके इसी बयान पर तीखा पलटवार करते हुए संघ के प्रदेश मीडिया प्रभारी सह वार्ताकार कमिटी सदस्य कुणाल दास ने बुधवार को कहा कि 23 सितंबर को टेट पास पारा शिक्षकों द्वारा आंदोलन का आगाज होने के बाद से ही शिक्षा मंत्री अनाप-शनाप बयान दिए जा रहे हैं जो कि उनकी हताशा और आनेवाले समय में पारा आंदोलन को लेकर उनमें दहशत का सूचक है. सबसे पहले तो मंत्री ने अपनी फजीहत से बचने के लिए मीडिया के माध्यम से झूठा प्रचार करते हुए कहा कि टेट पास पारा शिक्षक बिना सूचना उनके आवास पर आंदोलन करने पहुंच गए. मंत्री को यह मालूम होना चाहिए कि संबंधित सभी कार्यालयों में विधिवत सूचना दी गई थी तभी रांची प्रशासन हमें गाइड करते हुए मंत्री आवास तक ले गयी. और तो और उस दिन सुबह से ही उनके आवास पर भारी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती थी. सूचना की रिसीव कॉपी भी संघ के पास मौजूद है. इसलिए शिक्षा मंत्री को इस तरह के ओछे दुष्प्रचार से बचना चाहिए.
श्री दास ने आगे कहा कि दो दिन पूर्व भी जिस तरह से पारा शिक्षकों के वेतनमान की मांग पर बयान दिया है वह एक आधारहीन और भ्रामक बयान है. मंत्री जी को मालूम है कि टेट पास पारा शिक्षक आरक्षण रोस्टर सहित हर जरूरी मानकों को पूर्ण करते हुए सरकारी शिक्षक बनने की अहर्ता रखते हैं. इसके लिए सभी संबंधित दस्तावेज हमारे पास उपलब्ध हैं, सरकार वार्ता टेबल पर तो आए पहले. चूंकि मंत्री ने हमें वेतनमान देने के अपने वायदे पर वादाखिलाफी की है तो उन्हें अंदर ही अंदर अहसास है कि आंदोलन का बिगुल फूंक चुके टेट पास पारा शिक्षक अब किसी भी हाल में मानेंगे नहीं. तो अपनी वादाखिलाफी और अकर्मण्यता की पोल खुलने के डर से राजनीतिक स्ट्रेटजी के तहत अनाप-शनाप बोले जा रहे हैं. आगे उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि किसी भी प्रकार की नौटंकी या बहानेबाजी अब नहीं चलेगी. टेट पास पारा शिक्षकों को वेतनमान देते हुए समायोजित करना ही होगा. अन्यथा 23 सितंबर तो सिर्फ झांकी थी आगे और भी वीभत्स आंदोलन का नज़ारा दिखाएंगे. जरूरत पड़ी तो हेमंत सरकार को भी रघुवर सरकार की तर्ज़ पर स्थापना दिवस पर काला झंडा दिखाकर मोरहाबादी पार्ट टू दोहरायेंगे.
Reporter for Industrial Area Adityapur