सरायकेला: जिले की लाईफ लाईन कही जानेवाली टाटा- कांड्रा- चाईबासा मार्ग दिनोंदिन “डेथलाइन” बनती जा रही है. इसके लिए जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ सड़क निर्माता कंपनी जेआरडीसीएल है. जो सड़क के रखरखाव के एवज में टैक्स तो वसूलती ही है साथ में बिल्डर, माफियाओं, उद्यमियों और कारोबारियों के साथ मिलकर राहगीरों के जान का सौदा भी कर रही है.

आपको बता दें कि एक लंबे संघर्ष और अनगिनत कुर्बानियों के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के कार्यकाल में कोल्हान का पहला सबसे खूबसूरत एक्सप्रेस हाइवे बना था. उसके बाद मधु कोड़ा और डिप्टी सीएम रहे सुधीर महतो ने खरकई नदी पर नए पुल की सौगात दी जिससे उक्त मार्ग पर सफर सुहाना लगने लगा था. इसमें लोकतंत्र के चारों स्तंभों ने अपनी जिम्मेदारियों का ईमानदारी से निर्वाहन किया था मगर उन्हें ये नहीं मालूम था कि इस सड़क पर सफर एकदिन मौत का सफर में तब्दील हो जाएगा. इसमें कई तकनीकी खामियां हैं जिसपर किसी ने ध्यान नहीं दिया, मसलन एसिया के सबसे बड़े औद्योगिक सेक्टर में आनेवाली बाहरी गाड़ियों का पार्किंग कहां हो, सर्विस रोड पर अवैध पार्किंग और वेंडर जोन कहां शिफ्ट हो, सर्विस रोड के दोनों किनारे बसे व्यवसायिक प्रतिष्ठानों और उनसे होकर सोसायटियों तक अनजाने के लिए कहां से कट दिया जाए. ऐसे कई बिंदुओं पर काम नहीं हो सका जो आज नासूर बन चुका है.
जेआरडीसीएल की भूमिका पर उठ रहे सवाल
आनन- फानन में सरकार ने सड़क निर्माता कंपनी जेआरडीसीएल को उक्त सड़क के रखरखाव का जिम्मा सौंप दिया मगर जेआरडीसीएल जनता के साथ धोखा कर रही है. कांड्रा (पदमपुर) और गिद्दीबेड़ा और सरायकेला- चाईबासा मार्ग पर टोल प्लाजा बनाकर टोल वसूली कर रही है मगर न तो सड़क पर लाइट की मुकम्मल व्यवस्था हुई है न ही टाटा- कांड्रा मार्ग पर सड़क के दोनों ओर सर्विस रोड का काम पूरा हुआ है. उल्टा बिल्डरों, जमीन माफियाओं, उद्यमियों और कारोबारियों से मिलकर पूर्व में लगे गार्डवालों को रात के अंधेरे में हटाकर उन्हें लाभ पहुंचा रही है. सूत्रों की मानें तो जेआरडीसीएल के अधिकारी इसकी आड़ में मोटी रकम वसूल रहे हैं. मालूम हो कि जब उक्त सड़क बनी थी तब सर्विस रोड पर कांड्रा तक दोनों ओर 15- 20 कट थे मगर आज आदित्यपुर खरकई पुल से सुधा डेयरी के बीच 15 कट बन चुके हैं. रातोंरात गार्डवाल गायब होने लगे हैं, जो जांच का विषय है.
नगर निगम भी दोषी
इस मामले में आदित्यपुर नगर निगम भी कम दोषी नहीं है. आजतक नगर निगम ने वेंडर जोन विकसित नहीं किया है जिससे आदित्यपुर से लेकर गम्हरिया तक फुटपाथी दुकानदारों के हौंसले बुलंद हैं और जहां- तहां सर्विस रोड का अतिक्रमण कर दुकान लगा रहे हैं जिससे मोटरसाइकिल तो दूर पैदल चलना भी राहगीरों, खासकर महिलाओं, बुजुर्गों और युवतियों के लिए दुश्वार हो चुका है. ऊपर से जितने भी व्यवसायिक प्रतिष्ठान हैं उनका पार्किंग जोन नहीं है. ऐसे में उन्हें परमिशन कैसे मिल गया यह बड़ा सवाल है.
जिला प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस विवश
अब बात करते हैं जिला प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस की. सड़क निर्माता कंपनी की मनमानी और नगर निगम की लापरवाही के आगे जिला प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस विवश है. जिला प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस जब भी दबाव बनाने उतरती है राजनीति तेज हो जाती है. बेरोजगारी का हवाला देकर प्रशासनिक कार्रवाई को ऊपर के आदेश पर रुकवा दिया जाता है. उस वक्त उद्यमी और बिल्डर भी एकजुट हो जाते हैं. यहां जानना जरूरी है कि ट्रैफिक पुलिस और परिवहन विभाग जुर्माना वसूल सकती है सड़क की खामियों को दूर करने की जिम्मेदारी उसकी नहीं है. बीच- बीच में सामाजिक संगठन जनकल्याण मोर्चा आवाज जरूर उठाती है मगर उनके निशाने पर केवल जेआरडीसीएल होता है. जबकि, गार्डवाल हटाने, वेंडर जोन बनवाने और और सर्विस रोड के किनारे बने बड़े- बड़े मॉल और व्यवसायिक संस्थानों के पार्किंग पर कभी संबंधित विभागों से जवाब तलब नहीं करते. आपको बता दें कि उक्त सड़क के निर्माण में जनकल्याण मोर्चा की बड़ी भूमिका रही है मगर अब वह भी बेबस नजर आ रही है.
ट्रैफिक सिग्नल बना जी का जंजाल
आपको बता दे कि जिला प्रशासन की पहल पर टाटा- कांड्रा मार्ग पर आकाशवाणी चौक से लेकर गम्हरिया थाना तक जेडएफ कंपनी के सौजन्य से सीएसआईआर के तहत ट्रैफिक सिग्नल पोस्टर बनाए गए हैं. लोगों के लिए सकून भरा हो सकता है, मगर जेब्रा क्रॉसिंग, सर्विस रोड पर अतिक्रमण, मुख्य सड़कों पर बेतरतीब ढंग से पार्किंग और ऑटो चालकों की मनमानी राहगीरों के लिए एक महीने में ही जी का जंजाल बन चुका है. पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर जिले के एक्सीडेंटल जोन चिन्हित किए गए हैं. एसपी मुकेश कुमार लुणायत अपने विशेष रणनीति से अपराध नियंत्रण पर तो सफल साबित हुए हैं मगर ट्रैफिक नियंत्रण उनके लिए बड़ी चुनौती होगी. हालांकि उन्होंने दावा किया है कि रामनवमी के बाद वे खुद भौतिक रूप से सड़कों पर उतरेंगे और कार्रवाई करेंगे. मगर जेआरडीसीएल के पाप और नगर निगम की लापरवाही के खिलाफ वे एक्शन लेंगे यह देखना दिलचस्प होगा.
