सरायकेला: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के बाद सत्ताधारी दल के कई नेता और विधायक बीजेपी के बड़े नेताओं के संपर्क में हैं. पहले चंपई सोरेन उसके बाद बोरियो विधायक रहे लोबिन हेंब्रम के बीजेपी में शामिल होने के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि खरसावां विधायक दशरथ गागराई और पोटका विधायक संजीव सरदार भी बीजेपी में शामिल हो सकते हैं.
ऐसा इसलिए दावा किया जा रहा है क्योंकि गुरुवार को सरायकेला में आयोजित झारखंड मुक्ति मोर्चा कार्यकर्ता सम्मेलन से दोनों ही विधायक नदारद रहे. इसमें कोल्हान में प्रवास करने वाले झारखंड मुक्ति मोर्चा के सांसद, मंत्री और विधायक आमंत्रित थे. इस कार्यक्रम में खरसावां विधायक दशरथ गागराई और पोटका विधायक संजीव सरदार शामिल नहीं हुए, उसके बाद से ही राजनीतिक पंडितों ने कयास लगाना शुरू कर दिया है.
आपको बता दे कि पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के पहली बार दिल्ली दौरे के क्रम में भी खरसावां विधायक दशरथ गागराई और पोटका विधायक संजीव सरदार के उनके साथ दिल्ली जाने की खबर मीडिया में उड़ी थी, जिसका विधायक दशरथ गागराई ने पत्र जारी कर खंडन किया था, मगर जब खरसावां विधायक के गृह जिला में झारखंड मुक्ति मोर्चा का कार्यक्रम आयोजित किया गया. जहां शक्ति प्रदर्शन करनी थी उस कार्यक्रम में दोनों विधायकों की गैर मौजूदगी कई सवालों को जन्म दे रहा है. सूत्रों की माने तो आगामी 15 सितंबर को प्रधानमंत्री के प्रस्तावित जमशेदपुर दौरे के दौरान सत्ताधारी दल के कई विधायक और नेता बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. हालांकि गुरुवार को आयोजित झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ता सम्मेलन में शामिल सभी मंत्रियों विधायकों और सांसद ने एकजुटता की बात कही है. साथ ही दावा किया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा प्रचंड बहुमत के साथ राज्य में सरकार बनाने जा रही है, मगर जो संकेत मिल रहे हैं उससे सबकुछ ठीक- ठाक नजर नहीं आ रहा है.
कृष्णा बास्के को मंच पर किया गया अपमानित
बता दे कि कार्यक्रम में शामिल झारखंड मुक्ति मोर्चा केंद्रीय कार्यसमिति सदस्य कृष्णा बास्के को मंच पर बिठाया जरूर गया मगर उन्हें जो सम्मान मिलना चाहिए वह नहीं मिला, जबकि इस कार्यक्रम को सफल बनाने में कृष्णा बास्के ने जी तोड़ मेहनत की थी. विदित हो कि कृष्णा पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के बेहद करीबी रहे हैं, मगर उन्होंने चंपई सोरेन के बीजेपी में जाने के बाद भी झारखंड मुक्ति मोर्चा का दामन नहीं छोड़ा और उन्होंने फिर से पार्टी को संगठित करने की बात कही मगर जिस तरह से उन्हें मंच पर अपमानित किया गया उससे ऐसा लगने लगा है कि कृष्णा बास्के भी जल्द ही झारखंड मुक्ति मोर्चा से किनारा कर सकते हैं.
क्या कुड़मी नेताओं ने किया झामुमो को हाईजैक !
सूत्रों की माने तो सरायकेला झारखंड मुक्ति मोर्चा की कमान कुड़मी नेताओं ने सांभाल लिया है जो आदिवासी नेताओं को आगे आने नहीं देना चाह रहे हैं. यही वजह है कि चंपई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा से जुड़े एक भी कुड़मी नेता खुलकर उनके साथ नहीं गए और अब वे खुलकर चंपई सोरेन का विरोध कर रहे हैं. इसमें बड़ा नाम जिला उपाध्यक्ष अमृत महतो, केंद्रीय सदस्य सुधीर महतो, क़ाबलू महतो, गम्हरिया प्रखंड अध्यक्ष जगदीश महतो, पूर्व जिलाध्यक्ष रुद्र प्रताप महतो, केंद्रीय कार्यसमिति सदस्य गोपाल महतो, मोती महतो, पूर्व जिला परिषद सदस्य सह झामुमो के पूर्व जिलाध्यक्ष रहे सुधीर महतो का है जिन्होंने खुलकर पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ बगावती रुख अख्तियार कर लिया है. वैसे झारखंड मुक्ति मोर्चा के सरायकेला- खरसावां जिला अध्यक्ष डॉक्टर शुभेंदु महतो ने भी चंपई सोरेन का साथ नहीं दिया और वे भी अब खुलकर पार्टी के समर्थन में उतर गए हैं. वे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बड़े भक्त हैं. हेमंत सोरेन के जेल यात्रा के दौरान उन्होंने नंगे पांव रहने का प्रण लिया था और तबतक चप्पल- जूते नहीं पहने जबतक हेमंत सोरेन जेल से बाहर नहीं निकले. हालांकि वह दौर लोकसभा चुनाव का दौर था. डॉक्टर शुभेंदु महतो भी टिकट की जुगत में थे मगर पार्टी ने उन्हें इस काबिल नहीं समझा.