सरायकेला (Pramod Singh) सरायकेला के प्राचीन पूजा स्थल (शक्तिपीठ) देवी माता पाऊड़ी व देवी माता झुमकेश्वरी पीठ स्थल पर गुरुवार को नुआ खिया जंताल पूजा की गई. यह दोनों पूजा सरकारी खर्च पर पारंपरिक तांत्रिक मतानुसार पशु बलि प्रथा के अनुसार की जाती है. बताया जाता है कि रियासतों के विलय के समय सरकार के साथ हुए करार के आधार पर इस प्रकार के कई पूजा सरकारी खर्च पर संपन्न की जाती है.
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जंताल पूजा दोनों ही पीठ स्थलों पर स्थानीय देउरी द्वारा की गई. इसमें यजमान बन सरायकेला एसडीओ रामकृष्ण कुमार भी पूजा में उपस्थित रहे. उन्होंने क्षेत्र वासियों की कुशलता एवं संपन्नता हेतु देवी माता से प्रार्थना की. राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र के निदेशक गुरु तपन पटनायक ने बताया कि क्षेत्र में नुआ खिया जंताल पूजा की वर्षों पुरानी परंपरा चली आ रही है.
नया अन्न उत्पादन होने पर उसके उपयोग के पूर्व एक विशेष पूजा की जाती है. उक्त पूजा का शुभारंभ नुआ खिया जंताल पूजा के बाद ही की जाती है. किसान एवं स्थानीय निवासी नए अन्न से बने खीर का भोग अपनी कुलदेवी को पहले चढ़ाने के बाद ही नए अन्न को भोजन के रूप में उपयोग करते हैं. इसी प्राचीन परंपरा को कायम रखते हुए विधिवत नुआ खिया जंताल की पूजा देउरी द्वारा करवाई गई. अपराह्न दो बजे झुमकेश्वरी पूजा स्थल पर सामूहिक प्रसाद ग्रहण किया जाएगा. मौके पर छऊ मुखौटा निर्माता गुरु सुशांत महापात्रा एवं स्थानीय राजपरिवार के सदस्य उदित प्रताप सिंह देव सहित अन्य भक्त गण भी उपस्थित थे.
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