सरायकेला/ Pramod kumar Singh : सरायकेला में शुक्रवार को अक्षय तृतीया की पूजा-अर्चना के साथ महाप्रभु जगन्नाथ के रथ निर्माण का कार्य शुरू हो गया. सरायकेला के जगन्नाथ मंदिर में पंडितों ने पूजा-अर्चना की तथा हवन किया. इस मौके पर पुरोहित ने पहले रथ के चक्के की पूजा की. इसके बाद कुल्हाड़ी से लकड़ी के टोना को काट कर रथ निर्माण कार्य की विधिवत शुरुआत की. इस मौके पर लोगों में प्रसाद का भी वितरण किया गया. समिति के अध्यक्ष राजा सिंह देव की उपस्थिति में रथ निर्माण का कार्य आरंभ किया.
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समिति के अध्यक्ष राजा सिंह देव ने बताया कि भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के लिए साल की लकड़ी से रथ के पहिए का निर्माण किया जा रहा है. निर्माण कार्य एक महीने तक चलेगा. उन्होंने बताया कि अक्षय तृतीया के दिन से प्रभु जगन्नाथ के रथ निर्माण का कार्य शुभारंभ होता है. इसी रथ पर सवार होकर प्रभु अपने बड़े भाई बलराम एवं बहन सुभद्रा के साथ अपने मौसी के घर जाते हैं. उन्होंने बताया कि सरायकेला में पुरी के तर्ज पर रथयात्रा उत्सव का आयोजन किया जाता है. सारे विधि-विधान के साथ प्रक्रिया पूरी की जाती है.
पंचांग के अनुसार भी रथ निर्माण का आरंभ अक्षय तृतीया की तिथि से होता है. विशेष बात है यह है कि अक्षय तृतीया की तिथि से जहां रथ के निर्माण का कार्य प्रारंभ होता है वहीं रथ निर्माण के लिए लड़की का चयन बसंत पंचमी के दिन से ही प्रारंभ हो जाता है. रथ के प्रयोग में लाई जाने वाली लकड़ी को ‘दारु’ कहा जाता है. रथ के लिए लकड़ी चयन की जिम्मेदारी जगन्नाथ मंदिर समिति की होती है. रथ निर्माण में समय सीमा का विशेष ध्यान रखा जाता है. रथ निर्माण में किसी प्रकार की धातु का प्रयोग नहीं किया जाता है.
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