कांड्रा (Bipin Varshney) एक ओर अवैध उत्खनन और अवैध बालू के कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए जिला प्रशासन सख्ती बरतने का दावा करती है. वही दूसरी ओर प्रशासन के सख्त पहरे के बीच पहले जहां बालू का काला बाजार रात के अंधेरों में सज रहा था वहीं अब बालू माफिया दिन के उजालों में भी बेखौफ होकर काली कमाई करने में लगे हुए हैं. इन्हें ना तो प्रशासन की सख्ती की परवाह है और ना ही इन्हें अब कोई रोकने टोकने वाला. हरदिन 24 घंटे दर्जनों बालू लदे हाईवा को मुख्य मार्गों से होकर गुजरते आसानी से देखा जा सकता है.
कांड्रा चौका मार्ग पर स्थित गिद्दीबेड़ा टोल प्लाजा तथा कांड्रा मोड़ स्थित टोल प्लाजा में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखकर तथ्य की सत्यता जांची जा सकती है. हालांकि पहले जहां ट्रैक्टर मालिकों ने प्रशासन के भय से कारोबार बंद कर दिया था वही अब उनके मन से भी खौफ खत्म होता जा रहा है.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा जारी रोक के बावजूद रात के अंधेरे में नदियों से बालू का उठाव हो रहा है. बालू की कमी से निर्माण कार्य में मंदी आ गई थी जिसका खामियाजा दैनिक मजदूरों को भुगतना पड़ रहा था. लेकिन बालू की किल्लत ने बालू माफियाओं के लिए आपदा में अवसर प्रदान कर दिया है.
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खुले बाजार में बालू की कीमतें पूर्व के मुकाबले चौगुनी हो गई है. पहले जहां 700 सीएफटी बालों की कीमत महज 15000 रुपए थी. वहीं अब 500 सीएफटी बालू 40000 रुपए में बिक रहा है. बालू की इन ऊंची कीमतों से भले ही राज्य सरकार के राजस्व में इजाफा नहीं हो रहा हो लेकिन बालू माफिया चांदी काट रहे हैं. ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी ना तो खनन विभाग को है ना ही जिला प्रशासन को बल्कि लोग दबी जुबान से सब कुछ सेटिंग गेटिंग के आधार पर संचालित होने की चर्चा कर रहे हैं.
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