सरायकेला/ Pramod Singh जिले में तस्करी के बालू से आम- आवाम का ही मकान नहीं बन रहा है, बल्कि सरकार की योजनाओं में भी चोरी की बालू का ही इस्तेमाल हो रहा है. बता दें कि सरायकेला शहरी क्षेत्र में करीब पांच करोड़ की लागत से बिरसा मुंडा स्टेडियम का भवन निर्माण विभाग द्वारा सुंदरीकरण किया जा रहा है. जिसमें तस्करी के बालू का उपयोग किया जा रहा है.
ठेकेदार द्वारा स्टेडियम के अंदर करीब 300 ट्रैक्टर बालू डंपिंग किया गया है. इसके अलावा भी कई सरकारी कार्य धड़ल्ले से हो रहे हैं. जहां अवैध रूप से नदियों से बालू उठाव कर तस्कर खपा रहे है.
निर्माण कार्य करने वाले सरकारी विभाग व संवेदक भी इन तस्करों से बालू की खरीददारी कर योजनाओं में लगा रहे हैं, लेकिन जब इंडिया न्यूज़ वायरल के संवादाता अधिकारियों से बालू खरीदी के बाबत जानना चाहा तो वे कुछ बताने से साफ मुकर गए.
नाम नहीं छापने की शर्त पर विभाग के एक पदाधिकारी ने बताया कि योजना के निर्माण की जवाबदेही टेंडर लेने वाले ठेकेदार की है. विभाग को सिर्फ काम की क्वालिटी की देखरेख करना है. मेटेरियल की जिम्मेवारी ठेकेदार की होती है. यदि वह अवैध बालू उसमें लगा रहा है तो फिर चलान कहां से देगा. क्योंकि उसी चलान के आधार पर उसकी रॉयल्टी कटेगी जो खनन विभाग को जाता है.
यदि चलान जमा नहीं करेगा तो रॉयल्टी की डबल राशि उसके बिल से कटेगी, और डबल भुगतान खनन विभाग को होगा. लेकिन सरकारी विभाग के इस दलील पर कई सवाल खड़े होते हैं. बहरहाल सरायकेला जिले में कई योजनाएं अवैध बालू के सहारे चल रही है.
वही प्रधानमंत्री आवास बनाने के लिए लाभुकों को बालू के लिए दर- दर भटकना पड़ रहा है. आखिर यह कैसा कानून है कि ठेकेदारों को आसानी से बालू मिल रहा है और प्रधानमंत्री आवास बनाने वाले लाभुकों को बालू के लाले पड़ रहे हैं.