सरायकेला: आज वारांग क्षिति लिपि के जनक ओत गुरु कोल लाको बोदरा की 104 वीं जयंती है. इस मौके पर राज्यभर में आदिवासी हो महासभा की ओर से गुरु लाको बोदरा की जयंती मनाई जा रही है. इसी क्रम में सरायकेला के बड़बिल स्थित कला संस्कृति भवन परिसर स्थित कोलगुरू लाको बोदरा के प्रतिमा स्थल पर पहुंच मंत्री चंपई सोरेन ने उन्हें नमन किया. मौके पर सरायकेला जिला परिषद अध्यक्ष सोनाराम बोदारा, सरायकेला विधायक प्रतिनिधि सनंद आचार्य उर्फ टुलु सहित महासभा के अधिकारी एवं कार्यकर्ता मौजूद रहे.
अपने संबोधन में मंत्री चंपई सोरेन ने वारांग क्षिति लिपि के जनक गुरु लको बोदरा को नमन करते हुए कहा, गुरु लको बोदरा के कारण आदिवासियों का लिपि ईजाद हुआ. उन्हीं के बनाए लिपि के कारण झारखंडियों की पहचान कायम है. हो समाज का अपना लिपि है. जिसके संरक्षण और संवर्धन का संकल्प आज के दिन हम सभी लेते हैं. उन्होंने कहा इस स्थल पर वारंग क्षिति लिपि की शिक्षा देने का प्रबंध किया जाएगा. झारखंड सरकार शुरू से ही यहां के आदिवासियों- मूलवासियों के भाषा- संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन का काम कर रही है.
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उन्होंने विपक्ष पर जोरदार हमला करते हुए कहा, झारखंड अलग राज्य गठन होने के बाद सबसे ज्यादा दिनों तक भारतीय जनता पार्टी ने राज्य पर शासन किया, मगर यहां की पहचान यहां की प्रतिभा को कभी उभरने नहीं दिया. 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू होने के बाद भाजपा मुद्दा विहीन हो जाएगी. उन्होंने कहा 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति को लेकर हाय- तौबा मचाने की जरूरत नहीं है. सरकार ने इसके लिए ग्राम प्रधान को अधिकार दे दिए हैं. 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति को लेकर उन्होंने सरकार को प्रतिबद्ध बताया और कहा, यह लागू होने के बाद ही झारखंड के स्थानीय युवाओं को रोजगार मिल सकेगा और उनके भाषा संस्कृति और जमीन संरक्षित होंगे.
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मंत्री चंपई सोरेन