जन कल्याण मोर्चा ने सरायकेला- खरसावां जिले के उपायुक्त को पत्र लिखकर टाटा- कांड्रा मुख्य मार्ग पर गम्हरिया दुर्गा पूजा मैदान के समीप के नाले की सफाई एवं आदित्यपुर रेलवे टनल से होकर गुजरनेवाली सड़क के जीर्णोद्धार में फर्जीवाड़ा करते हुए कुल साढ़े सात साल रुपए की अवैध निकासी का आरोप पथ प्रमंडल विभाग के कार्यपालक, सहायक एवं कनीय अभियंता पर लगाया है.
उपायुक्त को लिखे पत्र के माध्यम से मोर्चा के अध्यक्ष ने पूरे मामले को गंभीर वित्तीय गड़बड़ी बताते हुए दोषी पदाधिकारियों एवं संवेदकों पर कार्रवाई किए जाने की मांग की है. श्री ओमप्रकाश ने बताया कि टाटा- कांड्रा मुख्य मार्ग पर गम्हरिया दुर्गा पूजा मैदान के समीप नाले के सफाई के एवज में पांच लाख एवं आदित्यपुर रेलवे टनल के जीर्णोद्धार के एवज में ढाई लाख रुपए की अवैध निकासी का मामला उनके संज्ञान में आया है, जिसकी जांच करते हुए दोषी पदाधिकारियों पर कार्रवाई की मांग संबंधी ज्ञापन उपायुक्त को दिया गया है. उन्होंने बताया, कि पूर्व में भी टाटा- कांड्रा मुख्य सड़क में हुए अनियमितता का मामला न्यायालय में विचाराधीन है. ऐसे में एक बार फिर से विभागीय पदाधिकारियों के मिलीभगत से सरकारी राशि के अवैध निकासी का मामला प्रकाश में आया है. 15 जुलाई से 30 जुलाई 2021 के बीच किसी संवेदक के नाम पर उक्त निकासी का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया, कि दोनों ही स्थलों पर जलजमाव की शिकायत मिलने पर तत्कालीन कार्यपालक अभियंता निर्मल कुमार द्वारा भौतिक सत्यापन करते हुए जेआरडीसीएल के प्रोजेक्ट डायरेक्टर को बुलाकर प्राथमिकता के आधार पर दोनों ही स्थलों को दुरुस्त करने का निर्देश दिया गया था. उन्होंने बताया कि उक्त रेलवे के टनल के नीचे से बने सड़क पर बिछाए गए स्लैग को हटाकर मरम्मत कराने का निर्देश दिया गया था, लेकिन जेआरडीसीएल द्वारा कार्यपालक अभियंता के कहने पर थोड़ा बहुत काम कर छोड़ दिया गया. जिससे स्थिति और भी भयावह हो चली है. सड़क पर चलना दुश्वार हो गया है. आए दिन जाम की स्थिति बनी रहती है. साथ ही दुर्घटना की संभावना बनी रहती है. यही स्थिति गम्हरिया दुर्गा पूजा मैदान के समीप नाले का भी है. वहां भी स्लैब को हटाकर पुनः स्लैब को रख दिया गया. साफ- सफाई के नाम पर महज खानापूर्ति कर दी गई, और सरकारी स्वीकृत राशि की अवैध रूप से निकासी कर ली गई. उन्होंने बताया कि विवेकाधीन मद से संवेदक को ढाई लाख रुपए का भुगतान भी कर दिया गया है, जो घोर अपराध की श्रेणी में आता है. उन्होंने बताया कि यदि पथ निर्माण विभाग उक्त कार्य को कराता तो महज 20 से 25 हजार रुपए में दोनों काम संपादित हो सकते थे, लेकिन विभागीय मिलीभगत से बड़े मात्रा में सरकारी राशि का दोहन किया गया है. उन्होंने उपायुक्त से अविलंब पूरे मामले की जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग की है.