सरायकेला नगर पंचायत क्षेत्र के लिए बहुप्रतीक्षित विद्युत शवदाह गृह का निर्माण कुदरसाई मौजा में किया जाएगा. इसको लेकर जिला प्रशासन द्वारा कवायद की जा रही है. जिसके तहत उपायुक्त अरवा राजकमल के निर्देश पर सरायकेला नगर पंचायत क्षेत्र अंतर्गत कुदरसाई मौजा में जमीन चिन्हितिकरण का कार्य पूरा कर लिया गया है. इस संबंध में सरायकेला अंचलाधिकारी सुरेश प्रसाद सिन्हा ने पत्र लिखकर विद्युत शवदाह गृह निर्माण करने के लिए जमीन चिन्हित करने की सूचना अपर उपायुक्त सुबोध कुमार को दी है. जिसमें उन्होंने बताया है, कि कूदरसाई मौजा के थाना नंबर 302, खाता नंबर 127 और खेसरा नंबर 440 के कुल रकवा 28.20 एकड़ भूमि के आंशिक भाग डेढ़ एकड़ भूमि पर शवदाह गृह का निर्माण प्रस्तावित किया गया है. सरायकेला नगर क्षेत्र के लिए बहुप्रतीक्षित उक्त प्रस्तावित विद्युत शवदाह गृह के निर्माण किए जाने को लेकर आम जनों में सराहना की स्थिति देखी जा रही है. जिला प्रशासन के तत्वाधान में प्रस्तावित उक्त विद्युत शवदाह गृह के निर्माण का स्वागत सरायकेला नगर पंचायत अध्यक्षा मीनाक्षी पटनायक सहित नगर पंचायत उपाध्यक्ष मनोज कुमार चौधरी ने भी की है.
हिंदू धर्म शास्त्र के अनुसार मानव जीवन के पहलुओं में शवदाह एक बहुत ही महत्वपूर्ण संस्कार है. जिसमें मृतक के सभी परिजन घोर दु:ख की स्थिति में भी शवदाह कर्म करते हुए संस्कारों का पालन करते हैं. ऐसे में शवदाह स्थल या शमशान घाट तक पहुंच और सुविधा कठिन हो तो मृतक के परिजनों पर दुखों का भारी पहाड़ टूट पड़ता है. इसे देखते हुए सरायकेला के समाजसेवी और श्री कालूराम सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष मनोज कुमार चौधरी द्वारा वर्ष 2019 में क्षेत्र के दोनों श्मशान घाटों कुदरसाई एवं अखाड़ासाल में शेडयुक्त दो-दो शवों के एक साथ दाह के लिए स्टैंड बनाए गए हैं. बावजूद इसके बड़े क्षेत्र को देखते हुए शवदाह की संख्या कभी कभार अधिक हो जाने और अस्थियां चुनने में लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता रहा है.
शवदाह के लिए लकड़ियों की खोज से मिल सकेगी निजात:
क्षेत्र में शवदाह के लिए भारी मात्रा में लकड़ी की व्यवस्था करना एक कठिन कार्य रहा है. जिसके लिए समय-समय पर क्षेत्र के समाज सेवकों का सहयोग सराहनीय बताया जाता है. बताया जाता है, कि 1980 के दशक तक सरायकेला वन विभाग क्षेत्र में लकड़ी डिपो हुआ करता था. जिससे लकड़ी की आवश्यकताओं के साथ-साथ शवदाह के लिए पर्याप्त मात्रा में लकड़ियां उपलब्ध हो जाती थी. परंतु उसके बाद से शवदाह के लिए लोगों को अंतिम समय में सूखे पेड़ और सूखी लकड़ियां तलाश करनी पड़ती है. जिसे लेकर लंबे समय से विद्युत शवदाह गृह की मांग क्षेत्र में होती रही है. बताया जा रहा है कि विद्युत शवदाह गृह बन जाने से अंतिम समय में भारी मात्रा में लकड़ियों के तलाश से मुक्ति मिल सकेगी.