भले यह दोहा बापू को प्रिय थे. इसकी प्रासंगिकता इसी से समझी जा सकती है,
कि अभी एक महीना भी नहीं बीता है, गांधी जयंती बीते, कि सरायकेला- खरसावां जिले के गम्हरिया प्रखंड मुख्यालय के प्रवेश द्वार पर स्थित बापू की प्रतिमा स्थल के इर्द-गिर्द दर्जनों शराब की बोतलें आपको दिख जाएंगी. अब सवाल यह उठता है कि बापू के प्रतिमा स्थल के इर्द-गिर्द शराब की बोतलें आई कहां से. और इसके लिए जिम्मेदार कौन है. प्रखंड मुख्यालय के मुख्य गेट पर बापू की प्रतिमा इसलिए स्थापित की गई कि यहां आने- जाने वाले लोगों के मन में सद्बुद्धि आए और वे गांधी की विचारधारा को अपने जीवन में आत्मसात करें, लेकिन क्या यही गांधी की विचारधारा है ! जिस गांधी को देश में संत का दर्जा प्राप्त है. उस गांधी के प्रतिमा स्थल का यह हाल है. बीते 2 अक्टूबर को देशभर में बापू की प्रतिमा पर देशवासियों ने श्रद्धा से सिर झुका कर उनके बताए आदर्शो को जीवन में आत्मसात करने की कसमें खाई, लेकिन हाय रे बापू के वंशज…. अभी एक महीना भी नहीं बीता है और बापू की प्रतिमा के इर्द-गिर्द खाली शराब की बोतलें. वैसे 2 दिन पूर्व जिले के उपायुक्त हाथों में झाड़ू लिए इसी क्षेत्र में स्वच्छता का संदेश देते नजर आए थे. काश एक बार वे बापू की प्रतिमा स्थल पर भी पहुंच जाते तो, उन्हें यहां की दुर्दशा साफ नजर आती.