Report By Afroz Mallik कोल्हान के तीनों जिलों में इन दिनों प्रचंड गर्मी पड़ रही है. पारा 42 डिग्री से पार जा चुका है. मौसम विभाग की मानें तो शुक्रवार को पारा 44 डिग्री के आंकड़े को छू सकता है. इंसान तो अपने लिए सुरक्षित जगह तलाश कर ले रहा है, मगर जानवरों और पशु- पक्षियों के अशियानों पर आफत पर आन पड़ी है. जहां क्षेत्र में पड़ रहे प्रचंड गर्मी और लू की वजह से जंगलों में आग लग जा रही है और आग की वजह से जंगली जानवर और पशु- पक्षियों को पलायन करना पड़ रहा है.
वन विभाग इसको लेकर गंभीर नहीं है. या तो उसके पास संसाधनों का घोर अभाव है. या विभाग के अधिकारी लापरवाह हैं. सरायकेला के कांड्रा क्षेत्र के हाड़ीभंगा गांव के जंगलो में लगी भीषण आग विभाग के लापरवाही की कहानी बयां कर रही है. इसके अलावा दलमा वन्य जीव आश्रयणी में भी भीषण आग लगी हुई है. इसपर काबू नहीं पाया जा सका है. आग कैसे लगी इसपर मंथन के बजाए आग पर कैसे काबू हो इसपर गंभीरता दिखानी होगी. जिले के किसी भी जंगली इलाकों से गुजारिये आपको साफ दिखेगा कि वहां आग लगी हुई है. वैसे इसके पीछे इंसानी जनमानस की लापरवाही से भी इंकार नहीं किया जा सकता है. अमूमन लोग बीड़ी या सिगरेट वगैरह पीकर उसे पूरी तरह से बुझाने के बजाए झाड़ियों के किनारे फेंक देते हैं जो इस तरह के अगलगी का कारण बनते हैं.
बात दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी की करें तो यहां बड़ी संख्या में जंगली जानवर प्रवास करते हैं. हाथियों का यह सबसे सेफ जोन है मगर आग की वजह से ये पलायन कर गावों का रुख कर रहे हैं जो ग्रामीणों और फसलों को निशाना बना रहे हैं. यहां पिछले एक पखवाड़े से आग लगी है. दलमा धू- धू कर जल रहा है. इसकी आग दालमा की तराई में बसे गावों तक पहुंच चुकी है मगर संसाधनहीन विभाग चमत्कार के भरोसे बैठा है. समय रहते यदि इसपर काबू नहीं पाया गया तो दलमा की आग की जद में न केवल जंगल बल्कि जंगली जानवर और इंसान भी आ जाएंगे.
इसपर बोलने से वन विभाग के अधिकारी कन्नी काटते देखे जा रहे हैं. वहीं ग्रामीण इसे अपनी बदनसीबी मान रहे हैं और इंद्रदेव से कृपा बरसाने की फरियाद लगा रहे हैं. मगर मौसम विभाग की भविष्यवाणी की माने तो इसके लिए पूरा अप्रैल इंतजार करना होगा.