सरायकेला: राज्य की हेमंत सरकार द्वारा पारित झारखंड प्रतियोगी परीक्षा को अंग्रेजी हुकूमत के रॉलेट एक्ट की भांति छात्रों के लिए काला कानून बताते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की सरायकेला इकाई ने काशी साहू कॉलेज सरायकेला के मुख्य गेट पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पुतला दहन किया.
अभाविप के विभाग संगठन मंत्री प्रताप सिंह, कोल्हान विभाग संयोजक बिकास ठाकुर, निजी विश्वविद्यालय प्रमुख सनातन गोराई, पूर्व जिला संयोजक लक्ष्मण महतो, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अजय ज्योतिषी, प्रद्युम्न, निशांत, संजय, श्रेष्ठ, सौरव, रवि एवं सोलोनी के नेतृत्व में पुतला दहन करते हुए कहा गया कि किसी छात्र को सिर्फ आरोप पत्र दाखिल होने पर ही परीक्षा से वंचित कर देना, प्रारंभिक जांच के बिना ही किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर प्राथमिकी दर्ज किया जाना, जिसके आधार पर परीक्षार्थी को परीक्षाओं से वंचित करने का भी प्रावधान है, सिर्फ चार्जशीट हो जाने के आधार पर किसी पर छात्र को परीक्षा देने से वंचित कर देना गैरकानूनी है जैसे विषय गैर संवैधानिक है.
उन्होंने बताया कि भारतीय संविधान कहता है कि दोष सिद्ध ना हो जाने तक कोई व्यक्ति दोषी नहीं माना जा सकता है। जबकि विधेयक के अनुसार सिर्फ आरोप लगने पर ही परीक्षार्थी को परीक्षा देने से वंचित कर देने का प्रावधान है. जांच चलने तक उसे परीक्षा में शामिल ना होने का आदेश एक काला कानून है, क्योंकि भारतीय न्याय व्यवस्था में इस तरह के मामलों के निर्णय तुरंत नहीं आते हैं. दूसरी बात है कि प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उम्र की एक तय सीमा होती है. ऐसे में जांच में यदि अधिक वर्ष लग जाता है तो परीक्षार्थी का जीवन ऐसे ही निष्फल हो जाएगा. जांच और अन्वेषण की आवश्यकता ना होना इस विधेयक को भी गैर संवैधानिक बनाता है. अभाविप के प्रतिनिधि इस अवसर पर नारेबाजी करते हुए काला कानून वापस लेने की मांग कर रहे थे.