सरायकेला: जिले में पिछले दस दिनों से ट्रैफिक प्रभारी का पद खाली पड़ा है. इस दौरान जिला परिवहन अधिकारी (डीटीओ) द्वारा सड़क सुरक्षा सप्ताह के तहत वाहन चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है. लेकिन, जनता इस अभियान को भेदभावपूर्ण और अन्यायपूर्ण मान रही है. जनता का आरोप है कि डीटीओ द्वारा केवल छोटे वाहनों (बाइक) की चेकिंग की जा रही है, उनके दस्तावेज जांचे जा रहे हैं और चालान काटा जा रहा है. दूसरी ओर, बड़े और भारी वाहन, जो अक्सर ओवरलोड होते हैं और सड़कों पर धूल उड़ाते हुए चलते हैं, उन्हें पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है.
बड़ी कंपनियों के वाहनों को छूट क्यों
लोगों का कहना है कि बड़े और ओवरलोड वाहन, जो ज्यादातर बड़ी कंपनियों के होते हैं, नियमों का खुलेआम उल्लंघन करते हुए सड़कों पर चल रहे हैं. इन वाहनों से न केवल सड़कें खराब हो रही हैं, बल्कि प्रदूषण और दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ रहा है. बावजूद इसके, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.
क्या सड़क सुरक्षा सप्ताह केवल छोटे वाहन चालकों के लिए ही ?
आखिर क्यों प्रशासन की नजरें बड़े वाहनों की ओर से बंद हैं, जबकि छोटे वाहन चालकों पर सख्ती की जा रही है. क्या बड़ी कंपनियों के वाहन कानून से ऊपर है. वहीं जनता ने मांग की है कि सभी वाहनों की समान रूप से जांच होनी चाहिए, चाहे वे छोटे हों या बड़े. ओवरलोड वाहनों पर सख्त कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है. सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बड़े और ओवरलोड वाहनों पर कार्रवाई कब होगी. वहीं जनता ने जिला प्रशासन और डीटीओ से यह मांग की है कि इस भेदभावपूर्ण रवैये पर रोक लगाई जाए और कानून का पालन सभी के लिए समान रूप से हो. अगर ऐसा नहीं हुआ, तो सड़क सुरक्षा अभियान का उद्देश्य ही विफल हो जाएगा. कानून सभी के लिए समान होना चाहिए. सड़क सुरक्षा सप्ताह का मतलब केवल छोटे वाहन चालकों को दंडित करना नहीं है. बल्कि सभी के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करना है.
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