सरायकेला: पोषण अभियान के अन्तर्गत पोषण पखवाड़ा के सफल संचालन को लेकर बुधवार को समाहरणालय परिसर से उपायुक्त अरवा राजकमल ने हरी झंडी दिखाकर जागरूकता रथ को रवाना किया. साथ ही समाज कल्याण विभाग द्वारा पोषण पखवाड़ा को लेकर आयोजित हस्ताक्षर अभियान में उपायुक्त समेत अन्य वरीय अधिकारियों ने हिस्सा लिया.
पोषण पखवाड़ा का उद्देश्य लोगों में पोषण संंबंधी जानकारी व व्यवहार परिवर्तन है, ताकि कुपोषण के उन्मूलन में एक कदम आगे बढ़ा जा सके. पखवाड़े के दौरान गर्भवती माताओं को उनके खानपान की जानकारी देनी है, ताकि शिशु में कुपोषण को शुरुआती दौर में ही रोका जा सके. इसके साथ ही उपायुक्त ने कहा कि पोषण जागरूकता रथ शुरूआती दौर में विशेष रूप से वैसे प्रखंडों का भ्रमण करेगा, जहां अतिकुपोषण की समस्या है, वहां जाकर सैम- मैम बच्चों तथा कुपोषण ग्रसित महिलाओं के बीच जनजागरूकता अभियान के माध्यम से उन्हें पोषण युक्त भोजन ग्रहण करने के साथ- साथ शिशुओं में उचित पोषण स्तर को बढ़ावा देने के लिए माताओं को स्तनपान के साथ ऊपरी आहार के महत्वों के विषय में जानकारी प्रदान करेगी. उन्होंने बताया कि पोषण जागरूकता रथ का मुख्य उद्देश्य सरायकेला जिले को कुपोषण मुक्त करते हुए सुपोषित बनाना है. उपायुक्त ने कहा कि पोषण अभियान के अंतर्गत पोषण पखवाड़ा का शुभारंभ किया गया है. यह अभियान पूरे जिले भर में 21 मार्च से 04 अप्रैल तक चलाया जाना है. पोषण पखवाड़ा का दायित्व यह है कि जिले भर में जितने भी आंगनबाड़ी केंद्र हैं, सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर अधिकाधिक संख्या में माताओं, किशोरियों तथा बच्चों को पोषण से संबंधित जानकारियां उपलब्ध कराया जाय. आमतौर पर किसी भी बच्चे के लिए 1000 दिन काफी महत्वपूर्ण होते हैं, जन्म से पूर्व 9 महीने तथा जन्म के बाद 2 वर्ष महत्वपूर्ण होते हैं. इस 1000 दिन में माता एवं बच्चों के पोषण से संबंधित ध्यान रखना अतिआवश्यक होता है. इसकी शुरुआत गर्भधारण से ही प्रारंभ होती है, जब माताओं को अपना चेकअप करना एवं अपने बच्चें के विकास पर ध्यान देना होता है. साथ ही साथ चिकित्सक की सलाह लेना भी जरूरी होता है. गर्भवती महिलाओं के संस्थागत प्रसव हेतु सेविका/सहायिका मदद करती है. संस्थागत प्रसव के पश्चात बच्चे के पोषक तत्व व उसके से संबंधित जानकारी पोषण पखवाड़ा जागरूकता रथ के माध्यम से दी जाएगी. इसके अतिरिक्त बच्चों के खान- पान एवं कुपोषण से होने वाले दुष्परिणामों व पौष्टिक आहार की जानकारी दी जाएगी. प्रथम 6 महीने माता का दूध बच्चें के विकास लिए सर्वोत्तम होता है. बच्चे के जन्म के 3 वर्ष तक उसे घर का खाना उपलब्ध कराया जाता है. तत्पश्चात आंगनबाड़ी केंद्र उसका नामांकन कराया जाता है. आंगनबाड़ी केंद्र के जरिए बच्चे को उचित पौष्टिक आहार दिया जाता है, साथ ही साथ बच्चें को प्रारंभिक शिक्षा भी दी जाती है.
उपायुक्त ने कहा कि पोषण जागरूकता रथ घर- घर जाकर गर्भवती माताओं एवं बच्चों को उचित पोषण एवं पौष्टिक आहार से संबंधित जानकारियां उपलब्ध कराएगा. उन्होंने कहा कि कोई भी बच्चा छूटे नहीं, इस हेतु जिले के सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपने अपने कार्य क्षेत्र अंतर्गत सभी माताओं एवं बच्चों को ट्रैक करें. इस हेतु सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को आवश्यक दिशा निर्देश दिया गया है. ताकि शत- प्रतिशत लाभुकों का पंजीकरण कराया जाए. इसका उद्देश्य यह है कि जिला का कोई भी माता एवं बच्चा छूटे नहीं. तथा सभी को सरकार द्वारा दिए जाने वाले लाभ ससमय उपलब्ध कराना है.
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अरवा राजकमल (उपायुक्त सरायकेला- खरसावां)