सरायकेला: सरकारी अफसरों के ठाठ- बाठ के किस्से तो आपने खूब सुने होंगे. भले ही सरकार ने सरकारी वाहनों से वीआईपी कल्चर समाप्त कर दिया हो परंतु सरकारी वाहनों का अभी भी धड़ल्ले से दुरुपयोग हो रहा है. ऐसा ही एक मामला सरायकेला से प्रकाश में आया है. जहां जिला शिक्षा पदाधिकारी संतोष गुप्ता सरकारी नियमों की जमकर धज्जियां उड़ा रहे हैं और सरकार और विभाग के मंत्री व अधिकारी मामले पर मौन धारण किए बैठे हैं.

नियमों को ताक पर रखकर कर रहे सरकारी वाहन का दुरुपयोग; कर रहे निजी प्रयोग
दरअसल जिला शिक्षा पदाधिकारी संतोष गुप्ता 28 जनवरी से 2 फरवरी तक छुट्टी पर थे. छुट्टी पर साहब अपना सरकारी स्कॉर्पियो संख्या JH05DU- 6482 अपने साथ लेकर गए थे. जो सरकारी नियमों की अनदेखी है. उसके बाद साहब अपने साला साहब के इंगेजमेंट में 11 और 12 फरवरी को भी सरकारी गाड़ी लेकर गए थे. जिला शिक्षा पदाधिकारी संतोष कुमार गुप्ता सरकारी वाहन का इस्तेमाल अपने परिवार के लिए करते है, जो कि नियम के खिलाफ है.
क्या कहता है नियम
सरकारी वाहन का उपयोग शासकीय कामों के लिए ही किया जाना है. वाहन में परिवार के लोगों को बैठाकर घुमाना, अपने निजी कार्य के लिए उपयोग करना गलत है. शासकीय मोटर एक्ट के तहत गलत है. इसके लिए जुर्माने का भी प्रावधान है. एक ओर तो सरकार वीआईपी कल्चर समाप्त कर रही है, वहीं दूसरी और सरकारी वाहनों के दुरुपयोग पर कोई लगाम नहीं लग रही है. जिला शिक्षा पदाधिकारी संतोष गुप्ता धड़ल्ले से ड्यूटी के बाद सरकारी वाहन में मजे कर रहे है. यदि समय रहते इस प्रक्रिया पर रोक नहीं लगी तो सरकारी नियमों को लागू करने का भी कोई औचित्य नहीं रह जाएगा. इस मामले को लेकर जब साहब से बात करने की कोशिश की तो साहब ने फोन रिसीव नहीं किया.
पूर्व में भी लग चुका है भ्रष्टाचार का आरोप
जिला शिक्षा पदाधिकारी संतोष गुप्ता और भ्रष्टाचार के बीच पुराना रिश्ता रहा है. साहब चाहे किसी भी पद पर हों भ्रष्टाचार उनके इर्दगिर्द ही मंडराता है. श्री गुप्ता पर हजारीबाग के डीएसई रहते 11 करोड़ के पोशाक घोटाले का आरोप लग चुका है मामला न्यायालय में लंबित है. मजे की बात ये है कि कोर्ट में भ्रष्टाचार का मामला लंबित होने के बाद भी साहब को विभाग ने प्रमोट कर डीईओ बना दिया. अब साहब की रसूख और रौब सातवें आसमान पर है. यही वजह है कि साहब अब खुलेआम सरकारी नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं और शासन- प्रशासन मौन है. कह सकते हैं कि “जब सैयां भए कोतवाल तो डर किसका “….
