ब्यूरो प्रमुख प्रमोद सिंह की रिपोर्ट

सरायकेला: जिले में अवैध गिट्टी, बालू परिवहन एवं खनन को लेकर जिला प्रशासन सख्त है. जगह- जगह बैरिकेडिंग कर अवैध परिवहन पर शत प्रतिशत अंकुश लगा रखा है. वहीं दूसरी ओर टाटा- कांड्रा, सरायकेला- कांड्रा सड़क पर कोयला फ्लाई एस लदे ओवरलोड वाहनों को चलते हुए आसानी से देखा जा सकता है.
ओवरलोड गाड़ियों के कारण सड़क पर कोयला और फ्लाई एस गिरने से सड़क पर चलने वाले वाहनो के साथ अन्य राहगीरों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. सड़क पर बेतरतीब पार्किंग और सरपट दौड़ते ओवरलोड हाइवा जानलेवा साबित हो रहे हैं. यही कारण है कि विगत डेढ़ साल के दौरान जिले के अलग- अलग सड़कों पर दो सौ से ज्यादा मौतें सड़क हादसों में हुए हैं, इनमें से ज्यादर दुर्घटनाएं हाइवा की चपेट में आने से हुए हैं. आखिर इस पर लगाम लगाएगा कौन !
कांड्रा- टाटा मार्ग पर सड़क पर गिरे कोयला चुनते आसानी से लोगों को देखा जा सकता है. कई बार तो लोग कोयला चुनने के चक्कर में दुर्घटना का शिकार होने से बचे हैं. बता दें कि औद्योगिक क्षेत्र होने के कारण कई कंपनियों का रेलवे साइडिंग से परिवहन के लिए जिन हाईवा ट्रकों का इस्तेमाल होता है, लगभग सभी हाईवा ट्रक ओवरलोड रहते है. ओवरलोड परिवहन कार्य में लगे हाईवा मालिकों ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया, कि चांडिल साइडिंग से कांड्रा क्षेत्र के स्थानीय कंपनियों के लिए प्रति टन 183 रुपए मिलता है. लगभग 25 लीटर डीजल की खपत होती है. दो टोल होने के कारण 520 रुपए टोल चार्ज लगता है. अगर इन सभी चीज को जोड़ा जाए तो परिवहन मैं लगे गाड़ी के भाड़े से गाड़ी का स्टॉलमेंट, रोड टैक्स, रोड परमिट, डाईवर भाड़ा निकालना भी मुश्किल है. चुंकि प्रतिमाह गाड़ी का स्टॉलमेंट, रोड टैक्स रोड, परमिट निकालने के लिए हम लोग ओवरलोड गाड़ी चलाने के लिए मजबूर हैं. वहीं गाड़ी मालिक ने बताया कि कंपनी प्रबंधक की हिटलर शाही के कारण हम लोग ओवरलोड गाड़ी चलाने के लिए मजबूर हैं.
वहीं एक अन्य गाड़ी मालिक ने बताया कि सरकारी नियम के अनुसार ओवरलोड गाड़ी वाले से परिवहन विभाग चालान काटती है परंतु जहां माल पहुंचता है, जिसका चालान रहता है, उस कंपनी पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जाती है, जबकि नियम है परिवहन करने वाले एवं करवाने वाले दोनों के ऊपर कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन इस जिला में ऐसा कोई कानून नहीं है. आज स्थिति ऐसी हो गई है, कि अगर ओवरलोड गाड़ी नहीं चलाएं तो वाहन मालिक को भूखे मरने की नौबत आ जाएगी.
गाड़ी मालिक ने सड़क पर चलने वाले ओवरलोड वाहनों का मुख्य कारण सही भाड़ा नहीं मिलना बताया और इसके लिए कंपनी प्रबंधक और ट्रांसपोर्टर को जिम्मेवार बताया. अगर प्रशासन और परिवहन विभाग कंपनी प्रबंधक और ट्रांसपोर्टर पर कार्रवाई करें तो सड़क पर ओवरलोड गाड़ी चलना बंद हो जाएगा, क्योंकि कंपनी प्रबंधक और ट्रांसपोर्टरों का सेटिंग- गेटिंग परिवहन विभाग के आला अधिकारियों के साथ होता है, जिस कारण उन लोगों पर किसी तरह की कोई कार्यवाई नहीं होती है, और हम जैसे छोटे वाहन मालिक उनका शिकार होते हैं.
देखें video
इन कंपनियों के कारण सड़क पर होती है ज्यादातर दुर्घटनाएं
कहने को तो टाटा- कांड्रा, कांड्रा- चौका- सरायकेला- राजनगर की सड़कें बेहतरीन सड़कें हैं. टाटा- कांड्रा मार्ग के सर्विस रोड पर ट्रांसपोर्टरों ने कब्जा जमा लिया है. शेर- ए- पंजाब से लेकर कांड्रा टॉल ब्रिज तक सर्विस रोड का अतिक्रमण हो चुका है. अब तो सर्विस रोड गाड़ियों का पार्किंग स्थल में तब्दील हो चुका है, जिसे देखने वाला कोई नहीं. बता दें कि राजनगर में रूंगटा माइंस, कांड्रा की तीन बड़ी कंपनियां अमलगम स्टील, आधुनिक पवार और नीलांचल, आदित्यपुर में वरुण बेवरेज के समीप सड़कों पर होनेवाले ट्रकों के पार्किंग के कारण कई दुर्घटनाएं हो चुकी है बावजूद इसके न तो प्रशासन जागा है नाही परिवहन विभाग.
जांच के नाम पर खानापूर्ति
वैसे परिवहन विभाग की ओर से दावे तो कई किए जाते हैं. मगर जांच के नाम पर महज खानापूर्ति की जाती है. सघनता से यदि जांच हो जाए तो दिन भर में सैकड़ों वाहन अवैध पार्किंग और अवैध रूप से ओवरलोड परिवहन करते पकड़े जा सकते हैं.
