देश डिजिटल हो रहा है. हर सरकारी विभाग का डिजिटाइजेशन किया जा रहा है ताकि विभाग के साथ उपभोक्ताओं को लाभ मिल सके, और सरकारी विभागों में जारी भ्रष्टाचार पर नकेल कसी जा सके. सरकार भले इसको लेकर गंभीर है, मगर सरकारी बाबुओं की रगों में भ्रष्टाचार कूट- कूट कर भरा है. जिसे निकलना इतना आसान नहीं.
यहां हम बात कर रहे हैं बिजली विभाग की. सरकार की ओर से गांव- गांव डिजिटल मीटर लगवाया जा रहा है, ताकि बिजली की चोरी रोकी जा सके और उपभोक्ताओं को कम दर पर बिजली उपलब्ध करायी जा सके. हालांकि सरकार की ओर से यह व्यवस्था मुफ्त करायी जा रही है. मगर भोलेभाले ग्रामीण उपभोक्ताओं से सरायकेला खरसावां जिला के कुकड़ू प्रखण्ड क्षेत्र में डिजिटल मीटर लगाने के नाम पर बड़ा खेल चल रहा है. क्षेत्र मे बिजली विभाग की ओर से पुराने मीटरों को बदलकर नये मीटर लगाने का काम चल रहा है. वहीं सपारूम टोला में बिजली मीटर लगाने आये बिजली मिस्त्रियों द्वारा प्रति मीटर एक सौ रूपया लिया जा रहा है. स्थानीय ग्रामीणों ने जब बिजली कर्मी से बात किया तो बताया की सिर्फ एक सौ रूपये खर्चा के लिए लिया जा रहा है. इसकी जानकारी कुछ ग्रामीणों ने मीडियाकर्मियों को दी. मीडियाकर्मियों को देखते ही बिजली कर्मी गांव से फरार हो गया. ग्रामीणों का कहना है कि हर उपभोक्ताओं से मीटर के एवज में 100 रुपए लिया जा रहा है, पैसे नहीं देने पर मीटर नहीं लगाने की धमकी दी जाती है. वही जब बिजली कर्मचारी से कुछ जानकार युवकों ने बिजली कर्मियों से बात किया तो बिजली कर्मचारियों का कहना था कि अभी जो मीटर लग रहा है इस मीटर में बिजली बिल कम आएगा. फिर वही बिजली कर्मचारी से पूछे कि हर मीटर में सौ – सौ रूपये करके क्यों लग रहा है. बिजली कर्मचारी ने बताया कि हम लोग अपना खर्चा के लिए पैसे ले रहे हैं, और ऊपर भी हम लोग को पैसा देना पड़ता है. मीडिया कर्मियों के सवाल पर बिजली मिस्त्री गांव में बिना मीटर लगाए ही मौके से भाग निकले. अब सवाल यह उठता है, कि निःशुल्क मीटर के बदले गरीब ग्रामीणों से प्रति मीटर सौ रूपये की वसूली किसके इशारे पर किया जा रहा है ? ऊपर के अधिकारी कौन हैं ? सीधे- साधे ग्रामीण सरकारी प्रक्रिया समझकर बिजली कर्मियों के हाथों ठगे जा रहे हैं. लगभग पूरे क्षेत्र में इस तरह का खेल चल रहा है. क्या विभागीय अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं है ? क्या बिजली विभाग को गावों मे जाकर जांच कर लोगों को जागरूक नहीं करनी चाहिए ? और क्या ऐसे कर्मचारियों पर कारवाई नहीं होनी चाहिए, जो सरकार और विभाग की साख पर खुलेआम बट्टा लगा रहे हैं !
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