सरायकेला/ Pramod Singh सोमवार को सरायकेला छऊ कलाकारों की एक आपात बैठक की गई. बैठक शशधर आचार्या द्वारा कलाकारों को भस्मासुर कहने पर भारी विरोध जताया गया. कलाकारों ने एक स्वर में कहा कि हम सरायकेला के कलाकार का बड़प्पन है कि पिछले 5 वर्षों से छऊ कला में पद्मश्री नहीं पाने के बाबजूद हम सभी कलाकार शशधर आचार्य को प्रशासन द्वारा चैत्र पर्व में सम्मान और मंच में स्थान देने पर कभी विरोध नहीं किया. एक पद्मश्री द्वारा इतने सारे कलाकारों को भस्मासुर कहना उनकी मानसिक दिवालियापन से ज्यादा कुछ हो नहीं सकता.


कलाकारों ने कहा कि शशधर आचार्य राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र के भगोडे कलाकार हैं. आज से 35 साल पहले अपने निजी स्वार्थ में राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र छोड़कर भाग गए थे. उनके द्वारा वर्तमान में राजकीय छऊ नृत्य कला केन्द्र एवं कलाकारों का संरक्षण जैसी बातें शोभा नहीं देती. कहा कि शशधर आचार्य वर्तमान में छऊ के ठेकेदार बने हुए हैं. उन्होंने संगीत नाटक अकादमी एवं आईसीसीआर में भी काफी गड़बड़ी की है. अब वहां उनकी दुकानदारी बंद हो चुकी है इसलिए नए रोजगार की तलाश में उनकी राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र पर नापाक नजर है. कहा कि शशधर आचार्य 35 साल से कहां थे. जो आज 35 साल बाद राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र की वर्तमान स्थिति पर विधवा विलाप कर रहे हैं. यदि कलाकेंद्र की इतनी ही चिंता थी तो पिछले 2 साल से बंद पड़े सेंटर को चलाने की कवायद उन्होंने क्यों नहीं की. कलाकारों ने कहा कि आज छऊ कला केंद्र की जो स्थिति पहुंची है उसके लिए पूरी तरह जिम्मेदार शशधर आचार्य ही हैं. समय रहते उन्होंने आवाज बुलंद की होती तो आज कला केंद्र की स्थिति ऐसी नहीं होती. पिछले बार राजनीतिक प्रभाव से प्रशासन ने उनको मौका दिया था लेकिन पैसा उगाही और बंदरबांट के नियत से अपने घर की चार- चार टीम को शामिल कर कलाकारों के नाम पर आई राशि का बंदर बांट करने की कोशिश की. कई पक्षपात पूर्ण निर्णय लेकर कलाकारों को मायूस करने का काम किया. शशधर आचार्य ने छऊ नृत्य शैली के मौलिक एवं मानक अंग भंगी के साथ छेड़छाड़ की है. सभी स्थापित नृत्यों को नृत्य के साथ सुरताल को भी अपने तरीके से अपभ्रंश करके प्रस्तुत किया जिसका हम सभी कलाकारों को भारी कष्ट है.
कहा कि अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि शशधर आचार्य द्वारा अपने पिता समान पद्म श्री गुरु मकरध्वज दोरोगा को शिक्षा दिया जाना कहा जा रहा है जो उनकी मानसिक दिवालियापन को दर्शाता है. शशधर आचार्य द्वारा छऊ महोत्सव में राजनीति प्रवेश करने की बात पर कलाकारों ने कहा कि उनके मुंह से राजनीति की बात शोभा नहीं देती. जब उनका निजी भाई मतलब के हिसाब से राजनीतिक दल का झंडा पकडता हैं और मौका देखकर बदलता रहता हैं. तब उन्हे कोई राजनीति नजर नहीं आता. शशधर आचार्य द्वारा चैत्र पर्व में राशि बंदरबांट की बात पर कलाकारों ने कहा कि बिना तथ्य की बात करना उचित नहीं. हम सभी कलाकार चैलेंज करते हैं कि अगर शशधर आचार्य एक पैसा भी हेरा- फेरी करने की बात को साबित कर दें तो वह जो बोलेंगे वह हम सभी कलाकार करने को तैयार है. शशधर आचार्य को यह बात समझनी चाहिए कि आज तीन दशक बाद पहली बार पारदर्शिता के साथ चैत्र पर्व हो रहा है एवं चैत्र पर्व 2025 में साधारण कलाकारों को भी पूरा सम्मान मिल रहा है एवं कलाकारों के अनुसार चैत्र पर्व का आयोजन हो रहा है.
भोला मोहंती ने कहा कि चैत्र पर्व सह छऊ महोत्सव में परफॉर्मेंस के लिए विज्ञापन दिया गया था, उसी के आधार पर पद्मश्री परिवार के केदार आर्ट सेंटर के साथ सरायकेला नगर के पांच दल भी परफॉर्मेंस किए, और अवॉर्डी या उनके आश्रितों को सम्मान के लिए लेटर दिया गया था, जिसमें से शशधर आचार्या को छोड़ सभी अवॉर्डी सम्मान लेने हेतु पहुंचे थे, उन्हें निमंत्रण नहीं देने का गलत आरोप लगा रहे है. श्री महांती ने कहा कि कलाकेंद्र पांच रिक्त पदों की नियुक्ति के लिए मैने ही माननीय विधायक दशरथ गागराई से बात कर विधानसभा में आवाज उठाया है, वो सिर्फ झूठा श्रेय लेना चाहते है.
शशधर आचार्य द्वारा राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र के कलाकारों पर उंगली उठाना और कलाकारों को भस्मासुर कहने का सरायकेला छऊ कलाकार भारी विरोध करते हैं यदि 24 घंटा के अंदर अपने बयान वापस नहीं लेते तो छऊ कलाकार कल शाम 5:00 बजे उनके विरोध में पुतला दहन करेगा. बैठक में काफी संख्या में कलाकार उपस्थित थे.
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