सरायकेला/ Pramod Kumar Singh : सरायकेला माटी से जुड़े पारंपरिक छऊ कला, पूजा पाठ अनुष्ठान में प्रशासन की उदासीन रवैया से अक्रोशित होकर पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत सरायकेला छऊ आर्टिस्ट एसोसिएशन एवं छऊ के जानकार लोगों की एक बैठक जगन्नाथ मंदिर के प्रांगण छऊ गुरु रजत पटनायक की अध्यक्षता में संपन्न हुई . बैठक को संबोधित करते हुए रजत पटनायक ने कहा कि छऊ केवल नृत्य ही नहीं बल्कि हम सरायकेला वासियों की धार्मिक भावनाओं से जुड़ा हुआ हमारी संस्कृति और पहचान है. प्रशासन द्वारा पिछले कई सालों से विश्व प्रसिद्ध छऊ नृत्य के संरक्षण एवं संवर्धन में किसी प्रकार की रुचि नहीं दिख रही है .
उन्होंने कहा कि राजकीय छऊ नृत्य कलाकेंद्र में सभी पद रिक्त हो गया है, लेकिन अभी तक बंद पड़े राजकीय छऊ नृत्य कलाकेंद्र को संचालित करने हेतु नियुक्ति हेतु कोई कारगर कदम नहीं उठाया जा रहा और ना ही चैत्र पर्व हेतु समिति की गठन पर किसी प्रकार की रुचि दिखाई दे रही है. जबकि यह कला हमारी है,इसे हम सरायकेला वासी मिलकर सवारेंगे और कलाकेंद्र गठन से ही यह प्रक्रिया चली आ रही है. एसोसिएशन के संरक्षक मनोज कुमार चौधरी ने कहा कि हम अपनी कला के साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं करेंगे. वर्तमान विश्व प्रसिद्ध छऊ कला व कलाकारों की दुर्दशा का जिम्मेदार स्थानीय प्रशासन, कलाकेंद्र में स्वार्थी तत्व हावी है .
उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष अनुमंडल पदाधिकारी सह सचिव राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र की अध्यक्षता में छऊ नृत्य के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु समिति बन कर तैयार थी परन्तु एक साजिश के तहत समिति गठन को जिला प्रशासन ने दबा दिया. जिससे दाल में कुछ काला नजर आता है. प्रशासन कुछ स्वार्थी लोगों को लेकर छऊ महोत्सव के नाम पर पैसे की बंदरबांट करने में लगी है. पहले प्रशासन पारदर्शिता दिखाए और कलाकारों को सम्मान दे.
अध्यक्ष शशांक शेखर महांती उर्फ भोला महांती ने कहा कि एसोसिएशन ने प्रशासन को इस बार चोईत परब को हमारे छऊ आर्टिस्ट एसोसिएशन को देने का निवेदन किया था पर प्रशासन ने अभी तक कुछ रुचि नहीं दिखाई और कुछ दिन पूर्व जिला प्रशासन द्वारा राजकीय छऊ नृत्य कलाकेंद्र में अस्थाई तौर पर कुछ बहाली में गड़बड़ी करने वाले भ्रष्ट लोगों को लेकर छऊ महोत्सव करने का निर्णय ले रहा है,जो कला जगत के लिए अपूरणीय क्षति है, जो छऊ को जन्म दिया वैसे महानुभाव को सरकार कभी सम्मान नहीं दिया है. हमे सरकार के ऐसे कार्यक्रम का विरोध करना होगा,सचिव सुदीप कबी ने कहा कि देश के आजादी उपरांत राजघरानों के मर्जर एकरारनामा के अनुसार विशुद्ध रूप से पारंपरिक छऊ और यहां के पूजा पाठ की संरक्षक हेतु था.
इसलिए प्रशासन को छऊ कलाकारों और जानकारों की समिति बनाना चाहिए,जिससे सही रूप से कला एवं कलाकारों का विकास हो सके, बैठक में सभी ने एक स्वर में प्रशासन के उदासीन रवैया खिलाफ रोष व्यक्त किया तथा पूर्व की भांति इस बार भी एसोसिएशन की ओर से आगामी दिनांक 13.4 अप्रैल को पारंपरिक चोईत पोरोब धूमधाम से मानने का निर्णय लिया गया. उक्त अवसर पर श्रीकलापीठ के निर्देशक काली प्रसन्न सारंगी,आशीष कर,रूपेश साहू,सिद्धू दरोगा,अभिनाश कबी,नीरज पटनायक,प्रदीप बसा, सनज साहू,लिटन महांती,पंकज साहू,राकेश कबी,सनत साहू सहित काफी संख्या में कलाकार उपस्थित थे .
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