सरायकेला/ Pramod Singh सूर्य उपासना का महापर्व छठ मंगलवार को नहाय खाय के साथ शुरू हो गया. व्रतियों ने लौकी- भात खाकर इस महापर्व की शुरुआत की. मालूम हो कि छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष इसकी सादगी, पवित्रता और लोकपक्ष है.
भक्ति और अध्यात्म से परिपूर्ण इस पर्व में बांस से निर्मित सूप, दऊरा मिट्टी के बर्तन, गन्ने का रस, गुड़, चावल, गेहूं से निर्मित प्रसाद और सुमधुर छठी मईया के गीतों से युक्त होकर लोक जीवन की भरपूर मिठास का प्रसार करता है. छठ पर्व रीति- रिवाजों के रंगों में रची गई उपासना पद्धति है. इसके केंद्र में वेद, पुराण जैसे धर्म ग्रंथ न होकर किसान और ग्रामीण जीवन है. पास- पड़ोस व परिवार का भरपूर सहयोग छठ पूजा में मिलता है. इसके साथ ही छठव्रतियों के साथ खरना का प्रसाद बनाने के लिए चावल की साफ- सफाई की गई. बुधवार को छठव्रतियों के यहां खरना का प्रसाद बनेगा. खरना के प्रसाद में गुड़ की खीर व गेहूं के आटे की रोटी का प्रसाद बनता है. इस प्रसाद को ग्रहण करने के लिए छठव्रतियों के यहां लोग पहुंचते हैं और प्रसाद ग्रहण करते है. इसके साथ ही छठ सूप में सजाने के लिए फलों की दुकानें पूरी तरह से सज गई हैं. बुधवार को इसकी खरीदारी जमकर होगी. आज व्रती शुद्धता का पालन करते हुए लौकी की सब्जी, चने की दाल और भात का सेवन कर इस व्रत की शुरुआत करेंगी. इसके पश्चात 6 नवंबर को खरना, 7 नवंबर को सायंकालीन अर्घ्यदान और 8 नवंबर को प्रातःकालीन अर्घ्य के बाद पारण होगा. इसी के साथ इस महापर्व का समापन भी होगा.