सरायकेला: चार दिवसीय महान लोक आस्था का पर्व सोमवार को नहाय- खाय के साथ शुरू हो गया है. सूर्यदेव की आराधना और संतान के सुखी जीवन की कामना के लिए इस पर्व का अनुष्ठान किया जाता है. मंगलवार को खरना होगा. बुधवार से व्रती 36 घंटे निर्जला उपवास रखेंगे. गुरुवार सुबह सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इस लोक आस्था के पर्व का समापन हो जाएगा. इधर झारखंड में भी छठ पर्व को लेकर तैयारियां अंतिम चरण में है. सरायकेला जिले के सभी क्षेत्र का माहौल छठमय हो गया है. गली-कूचों में छठी मइया के गीतों से भक्ति की बयार बह रही है. भगवान भाष्कर को अर्घ्य दिए जाने वाले घाटों पर भी उत्सवी माहौल है. एक तरफ जहां प्रशासनिक महकमा युद्धस्तर पर छठ घाटों की सफाई करने में जुटा है, वहीं सामाजिक संगठनों की ओर से भी यहां व्रतियों की सुविधा के लिए सभी जरूरी व्यवस्था की जा रही है. अथर्ववेद के अनुसार षष्ठी देवी भगवान भास्कर की मानस बहन हैं. प्रकृति के छठे अंश से षष्ठी माता उत्पन्न हुई हैं. उन्हें बच्चों की रक्षा करने वाले भगवान विष्णु द्वारा रची माया भी माना जाता है. इसीलिए बच्चे के जन्म के छठे दिन छठी पूजी जाती है, ताकि बच्चे के ग्रह- गोचर शांत हो जाएं. एक अन्य मान्यता के अनुसार कार्तिकेय की शक्ति हैं षष्ठी देवी. छठ को लेकर पूजा व प्रसाद सामग्रियों की खारीददारी जोरों पर चल रही है. विदित हो, कि सरायकेला में प्रतिवर्ष काफी हर्षोल्लास के साथ आस्था का महापर्व छठ मनाया जाता है और काफी संख्या में व्रती खरकई, स्वर्णरेखा नदी एवं अन्य जलाशयों में जाकर भगवान सूर्य को अर्ध्य देते है. सरायकेला के खरकाई नदी पर जगन्नाथ घाट, कुदरसाही घाट व श्मशान कालीमंदिर घाट समेत तीन छठ घाट है. इसमें से सबसे अधिक व्रती एंव श्रद्वालुओं की भीड़ जगन्नाथ छठ घाट में में होती है. जहां प्रशासनिक एंव न्यायिक पदाधिकारियों के परिवार समेत सरायकेला के गणमान्य व्यक्तियों के परिवार जाकर भगवान भास्कार को अर्घ देते है. सरायकेला के व्रती एंव श्रद्वालु छठ पर्व की अंतिम खरीददारी करने में लगे है और नगर पंचायत द्वारा छठ घाट की साफ -सफाई एंव समतलीकरण का कार्य किया जा रहा है. वहीं आदित्यपुर, गम्हरिया, कांड्रा, चांडिल और ईचागढ़ में भी छठ पर्व को लेकर तैयारी अंतिम चरण में जारी है.


