सरायकेला: चार दिवसीय लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा की शुरुआत कल नहाय खाय के साथ शुरू हो रहा है.
छठ महापर्व में स्वच्छता और पवित्रता का काफी महत्व होता है. पर्व को लेकर लोगों की आस्था को बनाए रखने के लिए सरायकेला नगर पंचायत की ओर से क्षेत्र के सभी छठ घाटों की सफाई युद्ध स्तर पर कराई जा रही है. सीटी मैनेजर महेश जारीका ने स्पष्ट रूप से संबंधित कर्मियों को घाटों की सफाई में कोई भी कोताही नहीं बरतने का निर्देश दिया है. सफाई निरीक्षक व उनकी टीम लगातार साफ- सफाई के काम में जुटे हैं. इस काम के लिए दो दर्जन से अधिक सफाईकर्मियों की मदद ली जा रही है. वहीं दूसरी ओर एक जेसीबी को भी काम में लगाया गया है. कचरा उठाव करने के लिए तीन ट्रैक्टरों की मदद ली जा रही है. नगर पंचाय क्षेत्र में तकरीबन पांच छठ घाट है. नगर पंचायत क्षेत्र में जगन्नाथ घाट, कुदरसाइ घाट, मजना घाट, शमसान काली घाट, सहित अन्य कई तालाबों में छठ पूजा की जाती है. इन जगहों पर लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ती है. जहां छठ व्रती भगवान सूर्य की अराधना करते हैं. छठ पूजा को लेकर बड़ी संख्या में छठ पूजा समिति भी काफी सक्रिय रहती है. इनके द्वारा अर्घ्य अर्पण करने के लिए दूध उपलब्ध कराया जाता है. इसके अलावा धूप, अगरबत्ती सहित अन्य हवन व पूजन सामग्री भी उपलब्ध कराया जाता है. नगर पंचायत घाटों को पर्व से पहले साफ- सफाई का काम पूरा करने की दिशा में कार्य कर रही है. यूं तो महापर्व की शुरुआत सोमवार को नहाय-खाय के साथ होगा, लेकिन अभी से ही वातावरण भक्तिमय होने लगा है. पिछले साल कोरोना संक्रमण को लेकर सरकार द्वारा कुछ बंदिशें थी, जिसके कारण बहुत सारे व्रती अपने घरों ही अर्घ्य अर्पित करने की व्यवस्था की थी. कोरोना संक्रमण को लेकर भय अब भी है. लेकिन पिछले साल की तुलना में कम है. इस बार सरकार ने घाटों पर अर्घ्य अर्पित करने को लेकर पिछले साल की तरह बंदिश नहीं लगाया है. छठ पूजा करने वाले व्रती तैयारियों को लेकर खरीददारी शुरू कर दी है. पूजन सामग्रियों की दुकानों पर भीड़ उमड़ने लगी है. परिधान, साड़ी, चुड़ी, श्रृंगार प्रसाधन की दुकानों पर भीड़ देखते ही बन रही है. बताते चलें कि चार दिवसीय महापर्व का आगाज सोमवार से हो रहा है. सोमवार को नहाय- खाय है. व्रती नजदीक के जलाशय में स्नान ध्यान करेंगे. उसके बाद अरवा चावल, दाल और कद्दू की सब्जी का भोग लगाएं. भोग लगाने के बाद भोजन करेंगे. भोजन के बाद निर्जला उपवास रहेंगे. दूसरे दिन अर्थात मंगलवार को खरना होगा. खरना के बाद बुधवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य के स्वरूप को अर्घ्य अर्पित किया जाएगा. वहीं गुरुवार को उदीयमान स्वरूप को अर्घ्य दिया जाएगा. इसके साथ ही महापर्व का संपन्न हो जाएगा.