सरायकेला/ Pramod Singh विज्ञान ने आज चाहे जितनी प्रगति कर ली हो और उसमें नित्य नए प्रयोग व परिवर्तन हो रहे हैं पर आज भी ढेरों पौराणिक परम्पराएं बिना बदलाव के वर्षों से बरकरार हैं. इनमें कई परम्पराए तो काफी हैरतअंगेज हैं, जिन्हें देख आंखों पर विश्वास ही नहीं होता है.
ऐसे ही परंपराओं में एक चड़क पूजा भी है. भक्तों की भक्ति ऐसी जिसे देख आपके मुंह से उफ निकल जाए, लेकिन भक्त की खुशी व मस्ती का ठिकाना नहीं रहता. सरायकेला प्रखंड अंतर्गत भुरकुली में प्रतिवर्ष की भांति रविवार को विभिन्न कार्यक्रम व अनुष्ठान के साथ पांच दिवसीय चैत्र पर्व उत्सव संपन्न हुआ. चैत्र संक्रांति के मौके पर शिवमंदिर प्रांगण में शुभ घट, यात्रा घट, गरिया घट, कालिका घट, सती घट, अग्निपाट, चड़क पूजा व छऊ नृत्य समेत विभिन्न कार्यक्रम हुए जिसका शुभारंभ शनिवार को घटपाट पूजा के साथ किया गया था.
शनिवार को पाट भक्ता के साथ बारह भक्ता उपवास व्रत, शुभ घट, यात्रा घट, गरिया घट, कालिका घट व सती पाट के साथ छऊ नृत्य का आयोजन किया गया. जिसमें स्थानीय एवं दूरदराज गांवों के काफी संख्या में श्रद्धालु एवं दर्शकों की भीड़ थी. बुधवार को चैत्र संक्रांति के दिन शोभा यात्रा, मोड़ा पाट, चलती गाजाडांग, चड़क उड़ा पर्व, रजनीफोड़ा जिव्हा वाण व अग्नि पाट का आयोजन किया गया. चैत्र पर्व का मुख्य आकर्षण रविवार को एक व्यक्ति द्वारा पीठ में लोहे का हुक छेदकर एक साथ पांच बैलगाड़ियों को खींचना रहा जिसमें सवारी भी बैठे थे. इस हैरतअंगेज कारनामा को देखने के लिए भुरकुली में हजारों की भीड़ उमड़ी. संक्रांति के दिन आयोजित अग्नि पाट में भक्तगण दस फीट लंबा व पांच फीट चौड़ा गड्ढे में दहकते अंगारे पर चले, परंतु उनके पैरों में आंच तक नहीं आई. मोड़ा पाट में कील ठोंके गए लकड़ी के तख्ते पर सोये एक भक्त को अन्य भक्तों द्वारा ढो कर मंदिर तक लाया गया. भुरकुली में प्रतिवर्ष की भांति गाजाडांग का आयोजन किया गया. जिसमें भक्त अपनी पीठ पर लोहे का हुक फंसाकर तीस फीट उपर घूमते बल्ली पर हवा में गोता लगाये.
चलंती गाजाडांग में चार चक्के पर बनाए रथ के उपर भक्त लोहे का हुक फंसाकर हवा में गोता लगाए. मनौती रखने वाले अनेक भक्त एवं श्रद्धालुओं ने घट-पाट के शोभा यात्रा व चड़क पूजा में अंश ग्रहण किया.
यह ऊपर वाले की कृपा ही है कि आज तक कोई भी हादसा नहीं हुआ है. प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी ने बताया कि यह शक्ति उन्हें कहां से मिलती है, यह किसी को नहीं पता है.