सरायकेला/ रांची: दो दिन पहले गिरफ्तार देश के माओवादियों का दूसरा सबसे बड़ा नेता, पोलित ब्यूरो सदस्य व झारखंड में एक करोड़ रुपये का इनामी प्रशांत बोस उर्फ किशन दा उर्फ मनीष, उर्फ बूढ़ा, अपनी पत्नी शीला मरांडी व उसके चार अन्य सहयोगी को रविवार को सरायकेला स्थित मंडल कारा में भेज दिया गया है
वहीं सरायकेला मंडल कारा को छावनी में तब्दील करते हुए करा के अंदर जहां दर्जनों पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है, वहीं बाहर एंटी माइंस टैंकों की तैनाती की गई है. उधर प्रशांत बोस की गिरफ्तारी को लेकर राज्य पुलिस के डीजीपी ने पुष्टि करते हुए ऐतिहासिक गिरफ्तारी बताया है. उन्होंने डोरंडा के जैप वन स्थित खुखरी गेस्ट हाउस में संवाददाता सम्मेलन के दौरान बताया कि यह गिरफ्तारी सिर्फ झारखंड के लिए ही नहीं, बल्कि सभी माओवाद प्रभावित राज्यों के लिए ऐतिहासिक है. माओवादी किशन दा व उसकी पत्नी शीला मरांडी के पास से एक पेन ड्राइव व दो एसएसडी कार्ड बरामद किए गए हैं. बरामद पेन ड्राइव व एसएसडी कार्ड से प्रतिबंधित भाकपा माओवादी नक्सली संगठन के कई दस्तावेज मिले हैं, जो सरकार के विरुद्ध व नक्सली संगठन के समर्थन में पर्चा, संगठन के पत्र व अन्य दस्तावेज की साफ्ट कॉपी है. एसएसडी कार्ड व पेन ड्राइव से इस बात का भी खुलासा हुआ है, कि भविष्य में माओवादियों की योजना झारखंड, ओडिशा व छत्तीसगढ़ रूट को दुरुस्त करना, माओवादियों की खोई हुई जमीन को वापस लाना था. बंगाल के पुरुलिया, बांकुड़ा, ओडिशा के मल्कानगिरी पर मजबूती से कब्जा करने की योजना थी. इसी एसएसडी कार्ड में 60 के दशक से अब तक की बड़ी घटनाओं, माओवादियों के शीर्ष नेताओं की बैठकों का पूरा ब्यौरा व प्लान मिला है, जिसका झारखंड पुलिस व अन्य जांच एजेंसियां अध्ययन कर रही है. डीजीपी के अनुसार प्रशांत बोस मानसिक व शारीरिक रूप से दुरुस्त है.
गिरफ्तार नक्सलियों का पता
12 नवंबर गिरफ्तार प्रशांत बोस उर्फ किशन दा उर्फ मनीष उर्फ बूढ़ा:
7/12 सी, विजयगढ़ कॉलोनी, थाना यादवपुर, कोलकाता, पश्चिम बंगाल.
शीला मरांडी उर्फ शीला दी: पति प्रशांत बोस उर्फ किशन दा, नावाटांड़, मनियाडीह, धनबाद.
विरेंद्र हांसदा उर्फ जितेंद्र : चतरो, खुरखुरा, गिरिडीह.
राजू टुडू उर्फ निखिल उर्फ बाजू : करमाटांड़, नौखनिया, पीरटांड़, गिरिडीह.
कृष्णा बाहंदा उर्फ हेवेन: अमराय कितापी, गोईलकेरा, पश्चिमी सिंहभूम.
गुरुचरण बोदरा: मदन जाहीर, साेनुआ, पश्चिमी सिंहभूम.
प्रशांत बोस व शीला मरांडी के पास बरामद सामान
चार मोबाइल, दो एसएसडी कार्ड, एक पेन ड्राइव, 1.51 लाख रुपये नकद
जहानाबाद जेल ब्रेक व सांसद सुनील महतो की हत्या का मास्टरमाइंड रहा है किशन दा
गिरिडीह में शस्त्रागार लूटने की बहुचर्चित घटना को अंजाम देने में काम आया था किशन दा का प्लान
सिर्फ झारखंड में अब तक किशन दा के खिलाफ 50 व शीला मरांडी के खिलाफ दर्ज हैं 18 मामले, अन्य राज्यों में दर्ज मामलों की जानकारी मिलना बाकी
दो दिन पूर्व सरायकेला में गिरफ्तार एक करोड़ के इनामी माओवादियों के पोलित ब्यूरो सदस्य प्रशांत बोस उर्फ किशन दा की गिरफ्तारी के बाद कई महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में पुलिस को विस्तृत जानकारी मिली है. बिहार के बहुचर्चित जहानाबाद जेल ब्रेक केस हो, पूर्वी सिंहभूम में सांसद सुनील महतो की हत्या का मामला हो या फिर वर्ष 2004 में गिरिडीह में गृह रक्षा वाहिनी के शस्त्रागार को लूटने का मामला हो. सभी कांडों का मास्टरमाइंड प्रशांत बोस उर्फ किशन दा ही था. सारंडा में 16 पुलिसकर्मियों की शहादत, रांची में विधायक रमेश सिंह मुंडा हत्याकांड, महाराष्ट्र में भीमा कोरेगांव हिंसा, छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में डेढ़ दर्जन से अधिक जवानों की शहादत के पीछे भी किशन दा का ही प्लान बताया जा रहा है, जिसकी जानकारी जुटाई जा रही है. झारखंड पुलिस की अब तक की छानबीन में प्रशांत बोस उर्फ किशन दा के खिलाफ झारखंड में 50 कांडों की जानकारी मिली है और उसकी पत्नी शीला मरांडी के खिलाफ दर्ज 18 कांडों के बारे में पता चला है. शीला मरांडी भी सेंट्रल कमेटी सदस्य रह चुकी है और गिरफ्तारी के पूर्व जमानत पर थी. किशन दा के विरुद्ध रांची के बुंडू, खूंटी के अड़की में तीन व मुरहू में एक, गुमला के चैनपुर में तीन, चाईबासा के सोनुआ में आठ, जराईकेला में छह, छोटानागरा में एक, गोईलकेरा में सात, टोंटो में दो, टोकलो में दो, टेबो में दो, गुवा में एक व मनोहरपुर में दो, सरायकेला के कुचाई में तीन, जमशेदपुर के चाकुलिया में तीन, हजारीबाग के इचाक में एक, विष्णुगढ़ में एक, बोकारो के महुआटांड़ में दो व चक्रधरपुर रेल थाने में एक मामला दर्ज है.
वहीं, इनकी पत्नी शीला मरांडी के खिलाफ बगोदर, पीरटांड़, बेंगाबाद, मधुबन, डुमरी, चंद्रपुरा, तोपचांची, बोकारो टाउन, गिरिडीह नगर, सोनुवा, मनोहरपुर, गोईलकेरा व टेबो थाने में 18 मामले दर्ज हैं।
60 के दशक में पढ़ाई के दौरान नक्सल से जुड़ा था प्रशांत बोस
नक्सली प्रशांत बोस उर्फ किशन दा 60 के दशक में पढाई के दौरान कोलकाता में नक्सली संगठन के मजदूर यूनियन संगठन से जुड़ा था. इसके बाद यह संगठन से प्रभावित होकर इस संगठन के लिए पूरी तरह समर्पित होकर काम करने लगा. एमसीसीआइ के संस्थापक में से एक कन्हाई चटर्जी के साथ ये गिरिडीह, धनबाद, बोकारो व हजारीबाग के इलाके में स्थानीय जमींदारी प्रथा एवं महाजनों के माध्यम से हो रहे स्थानीय जनता के शोषण एवं प्रताड़ना का विरोध किया. शोषण के विरुद्ध संथाली नेताओं के माध्यम से चलाए जा रहे आंदोलन के समर्थन में एमसीसीआइ के बैनर तले इसने आंदोलन को मुखर किया. माओवादी रतिलाल मुर्मू के साथ मिलकर धनबाद, गिरिडीह, बोकारो व हजारीबाग के क्षेत्रों में स्थानीय जमींदारों के माध्यम से गठित सनलाइट सेना एवं महाजनों के विरुद्ध एमसीसीआइ के बैनर तले वर्ष 2000 तक आंदोलन करते रहे। इस क्षेत्र के अलावा जमींदारों के माध्यम से गठित बिहार के जहानाबाद, भोजपुर, गया के इलाके में सक्रिय रणवीर सेना, ब्रह्मर्शी सेना व पुलिस के विरुद्ध लड़ाई लड़ते हुए झारखंड के पलामू, चतरा, गुमला, लोहरदगा, कोल्हान व संथाल परगना क्षेत्र में एमसीसीआइ संगठन को मजबूत किया. इस दौरान बिहार-झारखंड, बंगाल, ओडिशा राज्य में कई बड़ी नक्सली घटनाओं को अंजाम दिया. इसी क्रम में वर्ष 1974 में प्रशांत बोस पुलिस के हाथों गिरफ्तार किया गया था और हजारीबाग जेल भेजा गया था. वर्ष 1978 में जेल से निकलने के बाद यह पुन: संगठन में शामिल हो गया तथा पिछले करीब 45 वर्षों में संगठन के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रहा था. वर्ष 2004 में एमसीसीआइ व पीडब्ल्यूजी के विलय के बाद गठित भाकपा माओवादी संगठन में केंद्रीय कमेटी सदस्य, पोलित ब्यूरो सदस्य, केंद्रीय मिलिट्री कमीशन सदस्य तथा इस्टर्न रिजनल ब्यूरो का प्रभारी बनाया गया. दक्षिणी छोटानागपुर जोन के अधीन सारंडा में रहकर इसने संगठन के शीर्ष नक्सली नेताओं एवं दस्ता सदस्यों के साथ मिलकर संगठन का झारखंड, बिहार, ओडिशा, बंगाल राज्य में विस्तारित करते हुए मजबूत किया. इस नक्सली ने बंगाल स्टेट कमेटी में रहते हुए झारखंड व बंगाल के सीमावर्ती गुड़ाबंदा क्षेत्र में रहकर कई नक्सली घटनाओं को अंजाम दिया, जिसमें तत्कालीन पूर्वी सिंहभूम के सांसद सुनील महतो की हत्या भी शामिल है. यह वर्तमान में भाकपा माओवादियों के नक्सली संगठन के ईस्टर्न रिजनल ब्यूरो के सचिव एवं थिंक टैंक के रूप में काम कर रहा था.
ऐसे हुई है माओवादियों के दूसरे सबसे बड़े नेता की गिरफ्तारी
आइजी अभियान अमोल वी. होमकर ने प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि झारखंड पुलिस व खुफिया एजेंसी को जानकारी मिली थी कि पारसनाथ पहाड़ी क्षेत्र से कुछ महत्वपूर्ण व्यक्ति एक गाड़ी से चाईबासा जिले के कोल्हान क्षेत्र की ओर निकले हैं. उनकी गतिविधियां संदिग्ध रही है. यह भी लगातार सूचना मिल रही थी कि कोल्हान क्षेत्र में सीपीआई माओवादियों के शीर्ष नेताओं का जमावड़ा लगा हुआ है. यहां बैठक में शामिल होने के लिए भाकपा माओवादी संगठन के शीर्ष नेता कोल्हान के लिए निकले हैं. इसी सूचना पर 12 नवंबर को झारखंड पुलिस व सीआरपीएफ ने मिलकर धनबाद, बोकारो, रांची, जमशेदपुर, सरायकेला, चाईबासा के क्षेत्रों में बड़ा सर्च व चेकिंग अभियान शुरू किया. सभी संभावित रास्तों पर झारखंड पुलिस व सीआरपीएफ ने नाकेबंदी की. अभियान के क्रम में ही सरायकेला जिले के कांड्रा थाना क्षेत्र में गिद्दीबेड़ा टोल प्लाजा के पास चेकिंग के दौरान संदेहास्पद गतिविधि के आधार पर एक स्कार्पियो गाड़ी को रोका गया. इसमें चालक सहित छह व्यक्ति सवार थे. छानबीन के क्रम में ही पूछताछ में यह जानकारी मिली कि उनमें से एक प्रशांत बोस उर्फ किशन दा व उसकी पत्नी शीला मरांडी हैं. यह वही प्रशांत बोस है, जिसपर झारखंड सरकार ने एक करोड़ रुपये का इनाम रखा है. जिस गाड़ी पर सभी सवार थे, उसका नंबर भी इन आरोपितों ने बदल दिया था. बरामद स्कार्पियो का नंबर JH 22E- 2866 है. इसके बाद सभी छह आरोपितों के विरुद्ध कांड्रा थाने में जालसाजी व नक्सल की धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की गई है.