सरायकेला: जिले के सरायकेला थाना अंतर्गत बीरबांस स्थित इनफिनिटी इंडस्ट्रियल पार्क प्राइवेट लिमिटेड के अधीन स्थापित ब्रिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में स्थाई नियोजन की मांग को लेकर धरने पर बैठे रैयतों ने अंततः छः घंटे बाद प्रशासनिक सख्ती और शिवरात्रि के बाद त्रिस्तरीय वार्ता के आश्वासन के बाद धरना प्रदर्शन समाप्त कर दिया.
गौरतलब है कि पिछले कई सालों से इंफिनिटी इंडस्ट्रियल पार्क के रैयत ब्रिक्स इंडिया कंपनी लिमिटेड एवं श्रीउन्नत कंपनी प्राइवेट लिमिटेड में स्थाई नियोजन की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. रैयतों ने करीब 50 एकड़ जमीन कंपनी निर्माण के लिए इंफिनिटी इंडस्ट्रियल पार्क को दिया था. मगर कंपनी के अस्तित्व में आते ही दोनों कंपनियों ने रैयतों से किए गए वायदे से पल्ला झाड़ लिया. जिसके बाद रैयत आंदोलित हो उठे. रैयतों ने अपनी मांगों से प्रशासिक अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक अपनी फरियाद लगायी, मगर आजतक नतीजा सिफर रहा है. इस बीच कई बार रैयतों के स्थायी नियोजन को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में वार्ता होती रही मगर हर वार्ता के बाद रैयतों को आश्वासन का झुनझुना पकड़ा दिया गया.
गुरुवार को एकबार फिर से रैयतों ने अपनी आवाज बुलंद की, करीब 6 घंटे तक रैयत अपनी मांगों के समर्थन में कंपनी गेट के समक्ष धरने पर बैठे मगर प्रशासनिक सख्ती के बाद रैयतों का हौंसला पस्त हो गया. जहां एकबार फिर से रैयत त्रिस्तरीय वार्ता के लिए सहमत हो गए और आंदोलन समाप्त सर दिया. वैसे देखना यह दिलचस्प होगा, कि क्या इस बार भी रैयतों को आश्वासन का झुनझुना पकड़ाया जाता है, या इनका स्थाई नियोजन होगा.
*क्या है परेशानी*
दरअसल बीरबांस के करीब 75 ग्रामीणों ने इनफिनिटी इंडस्ट्रियल पार्क को नौकरी और मुआवजा के इकरारनामे पर करीब 50 एकड़ जमीन दिया था. इंफिनिटी इंडस्ट्रियल पार्क ने ब्रिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, मल्टीटेक ऑटो लिमिटेड और श्रीउन्नत प्राइवेट लिमिटेड के हाथों जमीन बेच दिया. रैयतों ने जब उक्त कंपनियों में नियोजन की मांग की तो उक्त कंपनियों ने यह कह कर स्थाई नियोजन करने से इंकार कर दिया, कि उन्होंने इंफिनिटी इंडस्ट्रियल पार्क से जमीन का सौदा किया है. वे उनके पास जाएं, जबकि इंफिनिटी इंडस्ट्रियल पार्क का वजूद समाप्त हो चुका है. ऐसे में रैयत खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. यही वजह है कि रैयत आज भी स्थाई नियोजन की मांग को लेकर दर- दर की ठोकरें खा रहे हैं.
पांच थानों की पुलिस ने संभाली कमान
रैयतों के उग्र रूप को देखते हुए पांच थाना प्रभारियों ने मोर्चा संभाल लिया. पुलिस केंद्र से सैकड़ों की संख्या में महिला एवं पुलिस बलों की तैनाती कर दी गई. सरायकेला एसडीपीओ, एसडीओ, सीओ सहित तमाम आला अधिकारी पूरे लाव- लश्कर के साथ मोर्चे पर डट गए. कई दौर की वार्ता के बाद करीब छः घंटे तक रैयत टस से मस नहीं हुए. अंतत एसडीपीओ के सख्ती के बाद रैयत टूट गए और शिवरात्रि के बाद त्रिस्तरीय वार्ता के आश्वासन पर आंदोलन समाप्त करने पर सहमत हुए.
सरकार के 75 फीसदी स्थानीय लोगों को नौकरी नीति की उड़ रही धज्जियां: ग्रामीण
धरने पर बैठे ग्रामीणों ने बताया कि एक तरफ सरकार स्थानीय लोगों को निजी कंपनियों में 75 फ़ीसदी आरक्षण देने की बात करती है, दूसरी तरफ जिन रैयतों ने कंपनी स्थापित करने में अपना जमीन दिया, उन्हें ही कंपनियां रोजगार नहीं दे रही है. इससे साफ समझा जा सकता है, कि सरकार की कथनी और करनी में कितना फर्क है. रैयतों ने बताया कि तत्कालीन रघुवर दास की सरकार के कार्यकाल में उनसे फर्जीवाड़ा कर जमीन ली गई थी. जो अब नासूर बन चुका है. जमीन माफियाओं के झांसे में आकर हमारे पूर्वजों ने पुश्तैनी जमीन उद्योग लगाने के लिए दिया, मगर अब हमलोग न घर के रहे न घाट के. प्रशासन भी उन्हें सहयोग नहीं कर रही. वर्तमान सरकार और स्थानीय जनप्रतिनिधि भी उनके मामले में गंभीर नहीं हैं.
धरने पर बैठे पारा शिक्षक को एसडीओ के आदेश पर बीईओ ने किया शोकॉज, बर्खास्तगी की अनुशंसा
उधर धरने पर बैठे पारा शिक्षक सोवरा कुम्भकार को एसडीओ के निर्देश पर प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी सह प्रखंड संसाधन समन्वयक गम्हरिया द्वारा शोकॉज करते हुए स्पष्टीकरण मांगा गया है. जिसने पारा शिक्षक की सेवा समाप्त करने की बात कही गई है, हालांकि पारा शिक्षक ने पत्र लेने से इनकार कर दिया.
Reporter for Industrial Area Adityapur