सरायकेला Report By Pramod Singh राज्य की हेमंत सरकार लाख दावा कर ले कि गरीबों की सरकार है. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बयां कर रही है. सरायकेला- खरसावां जिले में घोटालेबाजों ने गरीबों को भी नहीं बक्शा. सरकार गरीबों को ठंड से बचने के लिए राज्य के हर जिले में कंबल का वितरण कर रही है. इसे अवसर बनाकर घोटालेबाज कमाई करने में जुट गए हैं.
घोटालेबाजों द्वारा वजन की हेरा फेरी कर गरीबों को धोखा दिया जा रहा है. जिले में कंबल बिना वजन के ही रिसीव कर लिया गया है. सामाजिक सुरक्षा विभाग ने सरायकेला- खरसावां जिला सहित राज्य के विभिन्न जिलों में ठंड के मौसम में गरीबों के बीच बांटने के लिए 30 करोड़ रुपये के कंबल मंगाये थे. निविदा की शर्तों के अनुसार, हर कंबल का वास्तविक वजन 2100 ग्राम से ऊपर होना चाहिए. धोने के बाद कंबल के वजन 2000 ग्राम (पांच प्रतिशत तक कम) हो सकता है. लेकिन, आपूर्तिकर्ता द्वारा सरायकेला- खरसावां जिले में उपलब्ध कराये गये कंबल का वजन धोने के बाद 1662 ग्राम हो रहा है. यही हाल हर जिले में उपलब्ध कराये गये कंबल का वजन धोने के बाद 1596 ग्राम आ रहा है. अन्य जिलों में कमोबेश यही हाल है.
दरअसल, राज्य सरकार के निर्देश के बाद सामाजिक सुरक्षा विभाग ने पूरे राज्य में कंबल की आपूर्ति के लिए जेम पोर्टल के माध्यम से निविदा निकाली थी. इसमें सात कंपनियों ने हिस्सा लिया. सारी प्रक्रिया पूरी होने पर चार कंपनियां फिट पायी गयीं. चारों कंपनियों से कंबल का नमूना मंगा कर जांच के लिए दो दिसंबर 2024 को वस्त्र समिति की कोलकाता स्थित क्षेत्रीय प्रयोगशाला को भेजा गया था. पांच दिसंबर को जांच रिपोर्ट रांची पहुंची और छह दिसंबर को सामाजिक सुरक्षा विभाग की निदेशक की अध्यक्षता में क्रय समिति की बैठक हुई थी. क्रय समिति की बैठक में चारों आपूर्तिकर्ता कंपनियों ने अपने- अपने कंबल का प्रेजेंटेशन भी दिया था. उस दौरान धोने के बाद ‘बिहारी लाल चौधरी ट्रेड लिंक प्रालि, धनबाद के कंबल का वजन 2245 ग्राम और ‘ओम शक्ति टेक्सटाइल, पानीपत’ के कंबल का वजन 2238 ग्राम आया था, जबकि ‘टेक्नो फ्यूल इंडिया प्रालि’ के कंबल का वजन 1653 ग्राम दिखाया गया था. उधर बिहारी लाल चौधरी ट्रेड लिंक प्रालि’ ने ₹326 प्रति कंबल आपूर्ति का भी दावा किया. सही वजन और कम रेट के आधार पर क्रय समिति ने ‘बिहारी लाल चौधरी ट्रेड लिंक प्रालि’ को और इसी रेट में ‘ओम शक्ति टेक्सटाइल’ को नौ लाख 20 हजार 243 कंबलों की आपूर्ति का जिम्मा दिया. जबकि पूर्व में कंबल खरीद की जिम्मेदारी जिला के पास होती थी और उसके लिए दर भी कम निर्धारित होता था.
इधर सरायकेला- खरसावां जिला परिषद अध्यक्ष सोनाराम बोदरा ने कंबल को लेकर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है और इसकी जांच की मांग की है. वही राज्य के पंचायतों में खोले जा रहे ज्ञान केंद्र को लेकर भी जिला परिषद अध्यक्ष ने सवाल उठाए हैं.