ओडिया भाषा को लेकर पक्ष और विपक्ष आमने सापने है. विदित रहे कि पिछले दिनों सरायकेला जिला मुख्यालय पर ओडिया भाषा को द्वितीय राजभाषा का दर्जा और नियोजन नीति के तहत ओडिया में परीक्षा संचालित किए जाने को लेकर जिले भर के ओडिया भाषियों ने धरना- प्रदर्शन कर राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलन किया था. वहीं गुरूवार को झामुमो केंद्रीय कमेटी के सदस्य हीरालाल सतपथी ने तत्कालीन अल्पसंख्य आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. अशोक षाडंगी पर निशाना साधते हुए उपाध्यक्ष रहते उडिया भाषियों की उपेक्षा करने का सवाल उठाया था. वहीं उन्हेंने राज्य सरकार द्वारा नियोजन नीति में किए गए संशोधन की वकालत की थी. इधर डॉ. षाड़ंगी पर दिए गए विवादित बयान के बाद भाजपाईयों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और हीरालाल सतपथी के साथ राज्य सरकार के फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की. सरायकेला- खरसावां जिले के पूर्व जिला अध्यक्ष उदय सिंहदेव ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा द्वारा ओड़िया भाषा को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिए जाने की बात कही. उन्होंने बताया कि डॉ अशोष षाड़ंगी के खिलाफ किए गए टिप्पणी मुद्दों के ध्यान भटकाने को लेकर झामुमो द्वारा किया गया है. उन्होंने बताया कि अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष रहते डॉ षाडंगी ने उड़िया भाषा के विकास को लेकर कई प्रस्ताव राज्य सरकार को दिए हैं. वहीं सरायकेला नगर पंचायत की अध्यक्ष उपाध्यक्ष एवं भाजपा के वर्तमान जिलाध्यक्ष भी झामुमो नेता द्वारा भाजपा नेता सह राज्य के अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष पर किए गए विवादित टिप्पणी के विरोध में धरने पर बैठे और झामुमो से अपना बयान वापस लेने की मांग की. वैसे राज्य में आरोप प्रत्यारोप के बाद विरोध और प्रतिरोध के बीच विकास कार्यों की चिंता किसी को नहीं है. राज्य की सवा तीन करोड़ जनता रोजगार, पलायन, महिला सुरक्षा, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभीत सुविधाओं के लिए बेहाल है, लेकिन कभी नमाज के नाम पर कभी समाज के समाज के नाम पर राज्य में राजनीति चरम पर है.
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