सरायकेला: श्री जगन्नाथ सेवा समिति सरायकेला द्वारा कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर जगन्नाथ मंदिर प्रांगण में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन बालेश्वर ओडिशा से पधारे कथावाचक डॉ रूषिकेश पंडा मंडली द्वारा श्रीमद्भागवत कथा एवं भजन कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया
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. कथावाचक डॉ रूषिकेश पंडा ने कथा का वर्णन करते हुए कहा कि भागवत सुनने वालों का भगवान हमेशा कल्याण करते हैं. भगवान मानव को जन्म देने से पहले कहते हैं ऐसा कर्म करना जिससे दोबारा जन्म ना लेना पड़े. मानव मुट्ठी बंद करके यह संकल्प दोहराते हुए इस पृथ्वी पर जन्म लेता है. प्रभु भागवत कथा के माध्यम से मानव का यह संकल्प याद दिलाते रहते हैं. श्रीमद्भागवत में कहा गया है जो भगवान को प्रिय हो वही करो, हमेशा भगवान से मिलने का उद्देश्य बना लो, जो प्रभु का मार्ग हो उसे अपना लो, इस संसार में जन्म-मरण से मुक्ति भगवान की कथा ही दिला सकती है. भगवान की कथा विचार, वैराग्य, ज्ञान और हरि से मिलने का मार्ग बता देती है. राजा परीक्षित के कारण भागवत कथा पृथ्वी के लोगों को सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. समाज द्वारा बनाए गए नियम गलत हो सकते हैं किंतु भगवान के नियम ना तो गलत हो सकते हैं और नहीं बदले जा सकते हैं. जगन्नाथ मंदिर प्रांगण में श्रीमद्भागवत कथा सुनने काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे. जय जगन्नाथ के जयकारे लगातार लग रहे थे. कथा के दौरान जय जगन्नाथ एवं जय श्रीकृष्ण की गूंज पूरे इलाके में गूंज रहा था. कथाव्यास डॉ रूषिकेश पंडा के श्रीमुख से भागवत कथा सुन श्रद्धालु धन्य हो रहे थे. जगन्नाथ- बलभद्र- सुभद्रा की मूर्ति के समक्ष शीश झुका प्रणाम करके कथा स्थल पर कथा सुनने जा रहे थे. जगन्नाथ मंदिर प्रांगण में उपस्थित श्रद्धालुओं के कारण मंदिर परिसर तीर्थधाम जैसा नजारा लग था. श्रीमद्भागवत कथा के उपरांत श्रद्धालुओं के बीच समिति द्वारा प्रसाद वितरित किया गया. मौके पर पुजारी ब्रह्मानंद महापात्र, जगन्नाथ सेवा समिति के अध्यक्ष राजा सिंहदेव, उपाध्यक्ष सुदीप पट्टनायक, सचिव पार्थो सारथी दाश, सह सचिव परशुराम कवि, रवि सतपती, राजीव लोचन, चिरंजीवी महापात्र, बादल दुबे, रमानाथ आचार्य, चन्द्रशेखर कर, पार्थो सारथी आचार्य, बद्रीनारायण दोरोगा, राजेश मिश्रा, रूपेश मिश्रा, जयराज दास, गणेश सतपथी, देवी प्रसन्न सारंगी, तुषार पति, सुमित महापात्र, राजा ज्योतिषी, तुषार दुबे व अनिल जेना समेत अन्य उपस्थित थे.
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