सरायकेला (प्रमोद सिंह) मारवाड़ी युवा मंच एवं मारवाड़ी महिला समिति द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन सोमवार को कथा व्यास स्वामी वेदव्यास जी महाराज ने कहा कि मनुष्य से गलती हो जाना बड़ी बात नहीं, लेकिन ऐसा होने पर समय रहते सुधार और प्रायश्चित जरूरी है. ऐसा नहीं हुआ तो गलती पाप की श्रेणी में आ जाती है.
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कथा व्यास ने पांडवों के जीवन में होने वाली श्रीकृष्ण की कृपा को बड़े ही सुंदर ढंग से दर्शाया. कहा कि परीक्षित कलियुग के प्रभाव के कारण ऋषि से श्रापित हो जाते हैं. उसी के पश्चाताप में वह शुकदेव जी के पास जाते हैं. भक्ति एक ऐसा उत्तम निवेश है, जो जीवन में परेशानियों का उत्तम समाधान देती है. साथ ही जीवन के बाद मोक्ष भी सुनिश्चित करती है. कथा व्यास ने कहा कि द्वापर युग में धर्मराज युधिष्ठिर ने सूर्यदेव की उपासना कर अक्षयपात्र की प्राप्ति किया. हमारे पूर्वजों ने सदैव पृथ्वी का पूजन व रक्षण किया. इसके बदले प्रकृति ने मानव का रक्षण किया. भागवत के श्रोता के अंदर जिज्ञासा और श्रद्धा होनी चाहिए. परमात्मा दिखाई नहीं देता है वह हर किसी में बसता है.
श्रीमद्भागवत कथा जीवन के सत्य का ज्ञान कराने के साथ ही धर्म और अधर्म के बीच के फर्क को बताती है. श्रीमद् भागवत महापुराण श्रवण कल्पवृक्ष से भी बढ़कर है. क्योंकि कल्पवृक्ष मात्र तीन वस्तु अर्थ, धर्म और काम ही दे सकता है. मुक्ति और भक्ति नही दे सकता है, लेकिन श्रीमद् भागवत तो दिव्य कल्पतरु है यह अर्थ, धर्म, काम के साथ साथ भक्ति और मुक्ति प्रदान करके जीव को परम पद प्राप्त कराता है. उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत केवल पुस्तक नही साक्षात श्रीकृष्ण स्वरुप है. इसके एक- एक अक्षर में श्रीकृष्ण समाये हुये है. उन्होंने कहा कि कथा सुनना समस्त दान, व्रत, तीर्थ, पुण्यादि कर्मो से बढ़कर है. धुन्धकारी जैसे शराबी, कवाबी, महापापी, प्रेतआत्मा का उद्धार हो जाता है. उन्होंने कहा कि भागवत के चार अक्षर इसका तात्पर्य यह है कि भा से भक्ति, ग से ज्ञान, व से वैराग्य और त त्याग जो हमारे जीवन में प्रदान करे उसे हम भागवत कहते है. इसके साथ- साथ भागवत के छह प्रश्न, निष्काम भक्ति, 24 अवतार श्री नारद जी का पूर्व जन्म, परीक्षित जन्म, कुन्ती देवी के सुख के अवसर में भी विपत्ति की याचना करती है. क्यों कि दु:ख में ही तो गोविन्द का दर्शन होता है. जीवन की अन्तिम बेला में दादा भीष्म गोपाल का दर्शन करते हुये अद्भुत देह त्याग का वर्णन किया. साथ- साथ परीक्षित को श्राप कैसे लगा तथा भगवान श्री शुकदेव उन्हे मुक्ति प्रदान करने के लिये कैसे प्रगट हुये. इत्यादि कथाओं का भावपूर्ण वर्णन किया.
उन्होंने कहा कथा श्रवण से सूना जीवन धन्य हो जाता है. श्रीमद्भागवत कथा में जीवन का सार छिपा है. यह प्रेम और करुणा की महत्ता समझाती है. स्वामी जी के मुख से कथा सुनने मात्र से ही कष्ट दूर हो गए. कथा में आज के मुख्य यजमान रमन चौधरी द्वारा सप्तनिक भागवत जी एवं व्यास जी का पूजन कर भव्य आरती भंडारा के साथ आज दूसरे दिवस की कथा संपन्न हुई. भागवत कथा में मुख्य रूप से नगर पंचायत के उपाध्यक्ष मनोज कुमार चौधरी, सत्यनारायण अग्रवाल, रमन चौधरी, राजकुमार अग्रवाल, अरुण सेकसरिया, संदीप सेक्सरिया, सुनील सेक्सरिया गौरंग मोदक, विमलेश चौबे, रामलखन प्रसाद, विश्वनाथ साहू, विजय सेक्सरिया, स्नेहलता चौधरी,रेखा सेक्सरिया, संगीता चौधरी, इन्द्रा अग्रवाल, सुनीता सेक्सरिया, सरोज सेक्सरिया, विमल चौधरी, कमल चौधरी, कमला देवी, मंगलु मोदक एवं भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने श्रवण लाभ लिया.
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